द एचडी न्यूज डेस्क : बिहार विधानसभा के इस शीतकालीन सत्र में एक नई परंपरा के तहत राष्ट्रगीत गाने की शुरुआत की गई है. शीतकालीन सत्र की शुरुआत में सभी विधायकों ने राष्ट्रगान (जन-गण) गाया गया था. शुक्रवार को सत्र के आखिरी दिन राष्ट्रगीत (वंदे-मातरम) गाया गया, लेकिन इसको लेकर बिहार विधानसभा में बवाल हो गया. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के विधायकों ने राष्ट्र गीत नहीं गाया. एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा कि बिहार विधानसभा के स्पीकर जबरदस्ती ये परंपरा थोप रहे हैं. बिना वजह राष्ट्रगीत गाना जरूरी नहीं है. संविधान में ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है.
उन्होंने कहा कि ये देश 135 करोड़ देशवासियों का देश है और ये देश सबका है. यह देश सेक्युलर है. बीजेपी नेता के बयान पर कहा कि अगर उनको नेपाल पसंद है तो वो नेपाल चले जाएं, वहां भी हिन्दू राष्ट्र है. किसी की मजाल नहीं है मुझसे कहलवाए. भारत में किसी के डंडे की राज नहीं चलेगा. भारत किसी के संपत्ति नहीं है. ये 135 करोड़ देशवासियों का है. पार्लियामेंट में हमारे बुजुर्गों ने जो परंपरा स्थापित की है उनका आदर सम्मान करना हमारे लिए लाजमी है. अगर कोई गाते हैं तो मैं उन्हें रोक नहीं सकता. लेकिन मैं समझता हूं हमारे बुजुर्गों ने जो परंपरा स्थापित की है उनका ख्याल हमे रखना चाहिए.
मैं यह कह रहा हूं कि क्या संविधान में इसको कम्पलशन किया है क्या? जब संविधान ने इसे लाजमी नही किया तो मैं गाऊ या नहीं ये मेरे ऊपर निर्भर करता है, अब आप कहे कि क्यों नहीं गाते हैं. मैं बता दूं किसी ऑप्शनल सब्जेक्ट में पास होना जरूरी नहीं, ये तो मोस्ट ऑप्शनल चीजे है. पर आपके लिए तो यही खबर है. सीमांचल में लोग डूबकर मर रहे हैं. घर डूब रहे हैं. किसी के बच्चे डूबकर मर रहे हैं. उनके लिए स्कूल नहीं है, पर वो खबर तो बनती नहीं. क्योंकि आपको तो मिर्ची वाली खबर चाहिए. जिनका जो आस्था है वो करे. कोई निरामिष है, कोई भेज है तो कोई नॉनभेज है. देश में तो क्या सब पर डंडा चला दोगे.
उन्होंने कहा कि किसने कहा कि देश में रहकर राष्ट्रगीत नहीं गाने वाला देशद्रोही है. आप अपने मन से कुछ भी थोप नहीं सकते. आपके कहने से देश नहीं चलेगा. संविधान में जिन चीजों का उल्लेख है. संविधान हमारा पूर्ण है और हमारे संविधान रचयिता विद्धवान थे. उन्होंने देश को एकजुट रखने, प्रेम भाईचारे और सभी धर्मों का आदर सहित अपने धर्मो का पालन करने का हमे पूरा अधिकार दिया है.
मेरा कहना है कि पहले राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में फर्क जान लीजिए, मेरे लिए वो गाना जरूरी नहीं है. अगर आप पूछते हैं तो मैं पूछता हूं ये गाना जरूरी क्यों है ये हमको बताइए. अगर मेरी शख्ती होती तो मैं जरूर बात करता, इसको बंद करवाने को लेकर.
विशाल भारद्वाज की रिपोर्ट