PATNA: जब अधिकारी कर्मचारियों की बात या मांग नहीं मानेंगे, मांग पर विचार नहीं करेंगे, मांग पर अधिकारियों के कान में जू तक नहीं रेगती है तो कर्मचारी भला क्या करें। जी हां कर्मचारियों के पास अन्त में एक विकल्प बचता है वह है हड़ताल।
बिगत तीन वर्षों से अपनी पाँच सूत्री माँग को पूरा कराने को लेकर कृषि निदेशक के साथ बैठक आयोजित की गई थी। इस संदर्भ में 24.04.2020 तथा 17.06.2022 को कृषि निदेशक बिहार के साथ वार्ता भी की गई थी। मगर बात नहीं बनते देख बिहार कृषि समन्वयक कार्य समिति की अध्यक्षता में जिले के सभी कृषि समन्वयक अपने पाँच सूत्री मांग को पूरा कराने हेतु दिनांक 08.08.2022 हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया है।
अनेकों बार आश्वासन एवं वरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक के बाद भी हमारी माँग पूरी नहीं किया गया है। जबकि विभाग एवं सरकार तक को पता है कि कृषि विभाग के सभी योजनाओं का क्रियान्वयन कृषि समन्वयकों द्वारा ही किया जाता है। फिर भी हमें ही उपेक्षित रखा गया है। हमारी पाँच मुख्य माँग कुछ इस प्रकार हैंः-
1. कृषि समन्वयकों का गेड पे योग्यतानुरूप 2800 / से उत्क्रमित करते हुए तकनीकी एवं प्रोफेशन ल पे ग्रेड 4600 / करने की कृपा की जाए।
2. कृषि समन्वयक पदनाम को परिवर्तित करते हुए कृषि विकास पदाधिकारी ( ADO) तकनीकी प्रसार पदाधिकारी या कृषि प्रसार पदाधिकारी करने की कृपा की जाए।
3. प्रखण्ड कृषि पदाधिकारी के पद पर प्रोन्नति का कोटा कृषि समन्वयकों के लिए 33 प्रतिशत करने तथा सीधी नियुक्ति में उम्र सीमा में छूट एवं अनुभव अंक की अधिमानता का प्रावधान नियमावली में करने की कृपा की जाए।
4. कार्य की प्रकृति एवं दायित्व के अनुसार कार्य में तेजी लाने एवं गुणवत्तापूर्ण कार्य के लिए कृपा की जाए। संशाधन के रूप में लैपटॉप, मोटर साइकिल एवं आपरेशनल व्यय ( 4000 / प्रतिमाह ) देने की 5 कृषि समन्वयक पद को उर्वरक निरीक्षक घोषित करने की कृपा की जाए जिससे उर्वरक वितरण में जमीनी स्तर पर सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का शतप्रतिशत अनुपालन हो सके।
पटना से संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट