पटना : स्वतंत्रता सेनानियों की खून के बदले 1947 मिली आजादी को भीख बताकर बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत बुरी फंस गई हैं. बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहनी वाली कंगना को अपने इस बयान की वजह से काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. बयान की कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए कई नेताओं ने अब तक कंगना पर निशाना साधा है. गुरुवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कंगना पर निशाना साधा था और राष्ट्रपति से कंगना से पद्मश्री वापस लेने को कहा था.
मांझी की बहू ने लगा दी ‘क्लास’
अब मांझी के बाद उनकी बहू दीपा संतोष मांझी ने कंगना रनौत पर निशाना साधा है. या यूं कह लें कि अपशब्दों की झड़ी लगा दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ई कंगना रनौत के पता नहीं है कि एकरा जईसन कलमुही के हमनी बिहारी गोबर पाथे लायक नहीं बुझते हैं. पद्म सम्मान मिल गया तो शहीदों को ही अपमानित करने लगी. दीपा मांझी ने कंगना को ‘देशद्रोही’ बताते हुए चुनौती देकर कहा कि अरे ओ देशद्रोही कंगना, औकात है तो ई भाषा बिहार में बोलकर दिखाव, मुंह कीचड़ में ना डुबा दिया तो कहना. लतखोर.
जीतन राम मांझी ने कही थी ये बात
मालूम हो कि इससे पहले जीतन राम मांझी ने भी कंगना पर हमला बोला था. उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि महामहिम रामनाथ कोविंद अविलंब कंगना रनौत से पद्म श्री सम्मान वापिस लेना चाहिए. नहीं तो दुनिया ये समझेगी कि गांधी, नेहरू, भगत सिंह, पटेल, कलाम, मुखर्जी, सावरकर सब के सब ने भीख मांगी तो आजादी मिली. लानत है ऐसे कंगना पर.
दरसअल, बुधवार को कंगना रनौत ने निजी समाचार चैनल पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 1947 में मिली भारत की आज़ादी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि 1947 में भारत को जो आज़ादी मिली थी वो आज़ादी नहीं भीख थी. असली आज़ादी हमें साल 2014 में मिली है. उनके इसी बयान पर बवाल मचा हुआ है.