नई दिल्ली : ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी से एक विवाद के मामले में भारत सरकार को बड़ा झटका लगा है. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ट्राइब्यूनल ने केयर्न को 8,000 करोड़ रुपए देने का आदेश दिया है. एक महीने के भीतर यह भारत को दूसरा झटका है. इसके पहले अंतरराष्ट्रीय अदालत ने वोडाफोन मामले में भी भारत सरकार के खिलाफ आदेश दिया था.

सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है. अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले का मतलब यह है कि भारत का यह हाईप्रोफाइल विवाद खत्म हो गया है. हालांकि रॉयटर्स ने यह खबर सूत्रों के हवाले से दी है और केयर्न ने अभी इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है और न ही भारत सरकार का कोई बयान आया है.
क्या है मामला
इस फैसले का मतलब यह है कि भारत सरकार को केयर्न को 8,000 करोड़ रुपए चुकाने होंगे. केयर्न एनर्जी ने भारत सरकार के खिलाफ टैक्स विवाद मामले को जीत लिया है. एक इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में यह मामला चल रहा था. केयर्न ने मार्च 2015 में भारत के टैक्स डिपार्टमेंट के 1.6 अरब डॉलर से अधिक की डिमांड के खिलाफ औपचारिक मामला दायर किया था. यह टैक्स विवाद 2007 में उस समय इसके भारतीय कंपनी की लिस्टिंग से संबंधित था. भारत सरकार ने केयर्न को डिविडेंड के शेयरों को देने से इनकार करते हुए राशि जब्त कर ली थी. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वेदांता के साथ अपने विलय के बाद केयर्न इंडिया में कंपनी के हिस्से के अवशिष्ट शेयरों को समाप्त कर दिया था.

वेदांता के शेयर मजबूत
केयर्न की भारतीय ईकाई केयर्न इंडिया का अब वेदांता में विलय हो गया है. कहा जा रहा है कि सरकार को अब वेदांता के शेयर खरीदकर पैसे वापस करने पड़ सकते हैं. इसकी वजह से बुधवार को वेदांता के शेयर चार फीसदी से ज्यादा चढ़ गये हैं. इसके पहले भारत 20,000 करोड़ रुपए से अधिक की रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स डिमांड को लेकर वोडाफोन ग्रुप के खिलाफ आर्बिट्रेशन मामले में हार चुका है.