रोहतास : बिहार के रोहतास से एक बड़ी खबर आ रही है. जिला के नौहट्टा थाना क्षेत्र के चपरी गांव में दूषित पानी पीने से पिछले पांच दिनों में तीन से अधिक बच्चे की मौत की खबर है. एक अन्य बच्चे की मौत की भी चर्चा है. बताया जाता है कि वन विभाग द्वारा लूज वोल्डर स्ट्रक्चर का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें बहुत सारे मजदूर काम कर रहे हैं. उन्हीं मजदूरों के बच्चों की मौत उल्टी दस्त तथा पेट दर्द होने के बाद हुई है.
मृतकों में नंदलाल उरांव का 10 वर्षीय पुत्र रवि और गोरख उड़ांव की 11 वर्षीय बेटी फूलमती तथा 10 वर्षीय बेटी प्रेमशिला है. इसके अलावा भी एक और बच्चे की मौत होने की चर्चा है. सभी मृतक बच्चे अलग-अलग गांव के रहने वाले हैं. गुरुवार को जहां नंदलाल के एक पुत्र की मौत की खबर आई थी. वहीं शनिवार की शाम भी चपरी से एक और बच्चे की मौत की खबर के बाद प्रशासन की नींद खुली. स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में पहुंच गई है. चुकी चपरी गांव जिला मुख्यालय से 135 किलोमीटर दूर तथा नौहट्टा प्रखंड मुख्यालय से पहाड़ी रास्तों से 40 किलोमीटर अंदर जंगल में बसा है.
चेनारी विधायक मुरारी प्रसाद गौतम ने प्रशासन को घेरा
चेनारी के कांग्रेस विधायक मुरारी प्रसाद गौतम ने बताया कि वह लगातार अधिकारियों से संपर्क में हैं और बच्चों की मौत की वजह का पता लगाया जा रहा है. बता दें कि कई लोग अभी भी बीमार हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से वे लगातार प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क में हैं. उन्हों्ने आरोप लगाया कि इसके लिए अधिकारी ही दोषी हैं, क्योंकि समय रहते उनका अगर इलाज हुआ होता तो बच्चों की मौत नहीं होती. उन्होंने बताया कि दूषित पानी पीने से अलग-अलग गांव में 40 से अधिक लोग बीमार हैं. उल्टी दस्त की शिकायत है. जानकार बताते हैं कि जंगली इलाकों में पहाड़ों से निकलने वाले कई जलस्रोत में खनिज आदि मिला रहता है. जो कभी कभी जहरीला हो जाता है.
सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार पहुंचे गांव में
घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए सासाराम के सिविल सर्जन डॉक्टर सुधीर कुमार मेडिकल टीम के साथ खुद गांव पहुंचे और पीड़ित परिवारों से मिले. इसके अलावा जिन लोगों में उल्टी दस्त आदि की शिकायत है, उन्हें दवा दी गई है. सिविल सर्जन ने बताया कि तमाम तरह के एहतियात बरते जा रहे हैं तथा उचित इलाज भी मुहैया कराया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा लूज वोल्डर स्ट्रक्चर निर्माण कार्य में लगे मजदूरों तथा उनके परिजन के लिए शुद्ध पेयजल तक की व्यवस्था नहीं है. यही कारण है कि मजबूरन उन लोगों को पहाड़ी पानी पीना पड़ा और जान गवानी पड़ी.