मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने एक और समन जारी किया है। जांच एजेंसी ने समन में लिखा है कि इस बार आपको पीएमएलए की धारा 50 के तहत बयान दर्ज कराने का आखिरी मौका दिया जा रहा है। आप खुद तिथि, समय और जगह तय करके बताएं। ईडी के अधिकारी वही आकर पूछताछ करेंगे। इस समन के जवाब के लिए मुख्यंत्री हेमंत सोरेन को दो दिन में कार्यालय में लिखित जानकारी देने को कहा गया है।
जांच से बच रहे हैं सीएम
जांच एजेंसी ने समन में लिखा है कि वे जान-बूझकर इस मामले की जांच से बच रहे हैं और समन की अवहेलना कर रहे हैं। अगर अब जान-बूझकर समन की अवहेलना की जाती है तो ईडी के पास पीएमएलए की धारा के तहत उचित कार्रवाई करने का अधिकार है। समन में यह भी कहा गया है कि छह समन जारी करने पर भी आपकी ओर से निराधार कारण बताया गया और आप ईडी कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए। इस वजह से अनुसंधान में बाधा आ रही है।
हाईकोर्ट में अब तक क्या हुआ
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की तरफ से दायर क्रिमिनल रिट याचिका को हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह सुनने लायक नहीं है। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ में हुई, जहां ईडी के वकील ने बहस करते हुए कहा कि समन को चुनौती देना सही नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मनोहर लाल केस का हवाला देते हुए झारखंड हाईकोर्ट से कहा कि ईडी समन जारी कर सकती है।
सीएम की शिकायत क्या थी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट में 22 सितंबर को याचिका दायर की थी। इस मामले में हेमंत सोरेन ने पत्र लिखकर ईडी को इसकी जानकारी दी थी और हाईकोर्ट का निर्देश आने तक इंतजार करने का अनुरोध किया था। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि पीएमएलए 2002 में निहित प्रावधानों के तहत ईडी के अधिकारी को जांच के दौरान किसी को समन करने का अधिकार प्राप्त है, जिसे धारा 50 के तहत समन जारी किया जाता है, उससे सच्चाई बताने की अपेक्षा की जाती है। उसका बयान दर्ज किया जाता है। इसके बाद इस बयान पर दंड या गिरफ्तारी के डर से उसे इस पर हस्ताक्षर करने की अपेक्षा की जाती है। यह संविधान के अनुच्छेद 20 (3) का उल्लंघन है। संविधान द्वारा दिए गए मौलिक अधिकार के तहत किसी व्यक्ति को इस बात का हक है कि वह यह जाने कि उसे किस मामले में और क्यों समन किया गया है। ईडी ने उन्हें समन भेजा है, लेकिन वह इस बात की जानकारी नहीं दे रहा है कि उन्हें किस सिलसिले में बयान दर्ज करने के लिए बुलाया जा रहा है। ईडी की ओर से उन्हें ईसीआईआर की कॉपी भी नहीं दी जा रही है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में समन जारी होने के बाद से ही सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी से समन वापस लेने को कहा था। उन्होंने कहा था कि हमने पहले ही अपनी संपत्ति की जानकारी दे दी हैं। अगर वह गुम हो गया है तो वे फिर से इसे उपलब्ध करा सकते हैं। इससे पूर्व अवैध खनन मामले में ईडी ने सीएम हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए समन जारी किया था। उस दौरान वे ईडी के समक्ष उपस्थित हुए थे और ईडी के सभी प्रश्नों का जवाब दिया था। पूछताछ के दौरान संपत्ति से जुड़े दस्तावेज भी ईडी को उपलब्ध कराए थे.
जमीन घोटाला मामले में अबतक कब कब भेजे गये समन
हेमंत सोरेन को ईडी ने पहली बार अगस्त में समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था। उन्हें 14 अगस्त को ऑफिस बुलाया गया था। इसके बाद 24 अगस्त को दूसरा, 9 सितंबर को तीसरा, 23 सितंबर को चौथा, 4 अक्टूबर को पांचवा और 12 अक्टूबर को छठा समन भेजा गया था।