JHARKHAND:-
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बिल सदन से पास हो गया. वहीं “प्रज्ञान इंटरनेशनल विश्वविद्यालय (निरसन) विधेयक 2023 भी सदन से पास हो गया. इससे पहले भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 11 नवंबर 2022 को विधानसभा के विशेष सत्र में पारित ‘झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022 को सदन में रखा. यह 1932 खतियान आधारित स्थानीय नियोजन नीति है. 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बिल पास होने के बाद सदन में “प्रज्ञान इंटरनेशनल विश्वविद्यालय (निरसन) विधेयक 2023 सदन में पेश किया गया.
झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक भी सदन में पेश
झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023″ सदन में पेश किया गया. इस विधेयक को भी राज्यपाल ने वापस किया था. जिसे सरकार बिना संशोधन के सदन में पेश कर रही है. इस विधेयक में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है.
विधेयक में संशोधन की जरूरत नहीं – सीएम
मौके पर सीएम ने कहा कि विपक्षी दलों ने इस विधेयक को पिछली बार समर्थन दिया था. लेकिन बाद में उनलोगों ने राज्यपाल का कान भरने का काम किया. इनके लोग कोर्ट भी गये. सीएम ने कहा कि राज्यपाल और अटॉर्नी जनरल ने जो तर्क दिये हैं, उससे इस नीति का कोई लेना देना नहीं है. जो पूराने केस का उल्लेख किया गया है, उससे भी इस नीति और विधयेक का कोई लेना देना नहीं है. एडवोकेट जनरल से राय लेकर इस विधेयक को बनाया गया है. इसलिए इसमें संशोधन की जरूरत नहीं है.
कानूनी पेंच में फंसा कर युवाओं को नौकरी नहीं देना चाहती सरकार – प्रतिपक्ष
प्रतिपक्ष के नेता अमर बाउरी ने कहा कि राज्यपाल ने जो सुझाव दिये हैं, उस पर अमल करें, नहीं तो फिर से यह विधेयक कानूनी पेंच में फंस जायेगा. आगे कहा कि नियोजन पूरी तरह से राज्य का विषय है, इसे केंद्र पर थोपा ना जाये. कहा कि इस विधेयक को आप फिर कानूनी पेंच में फंसा कर युवाओं को नौकरी नहीं देना चाहते हैं.