मधेपुरा
सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधा बेहतर होने की दावा लगातार की जा रही है. लेकिन मधेपुरा सदर अस्पताल के ओपीडी से आए दिन समय पर डॉक्टर नहीं मिलते हैं. जिससे रोगियों को डॉक्टर के आने का घंटों इंतजार करना पड़ता है. सदर थाना क्षेत्र के श्रीपुर निवासी सागर कुमार बृजेश ने बताया कि बीती रात अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए सदर अस्पताल मधेपुरा में भर्ती करवाया, जहां डॉक्टरों के कमी होने के कारण प्रसव होते ही बच्चे की मौत हो गई. और प्रसूता की हालत गंभीर बनी रही इसके बावजूद भी इस कड़ाके की ठंड में रात से सुबह तक महिला डॉक्टर के आने का इंतजार करते रहे.
परिजनों का बताना है की महिला डॉक्टर दिन के 11:00 बजे तक नहीं आई. प्रसव के वाद प्रसूता हालत गंभीर बनी हुई थी. प्रसूता दर्द से छटपटाती रही लेकिन उपचार तो दूर, कोई स्वस्थ कर्मी मरीज को देखना भी मुनासिब नहीं समझे. अगर डॉक्टर समय से अस्पताल पहुंचते और हमारे मरीज को समय पर उपचार होता तो नवजात की मौत नही होती. परिजनों का आरोप है, की डॉक्टर अपने निर्धारित समय से 3 घंटे विलंब से अस्पताल पहुंचे. इस दौरान जब पेशेंट के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधक से पूछा तो उन्होंने बताया कि 23 किलोमीटर की दूरी तय कर सहरसा से मधेपुरा सदर अस्पताल आने में समय लगता है, इसलिए लेट हो गया.
जबकि बिहार सरकार द्वारा निर्देश जारी किया गया है, कि अस्पताल में तैनात सभी डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी अस्पताल से 7 किलोमीटर के दायरे में ही अपना आवास रखें. इसके बावजूद भी सदर अस्पताल, मधेपुरा के डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी सरकार के निर्देश का पालन नही कर रहे है. सहरसा से मधेपुरा की दूरी 23 किलोमीटर की है. जिसको लेकर डॉक्टर को अस्पताल पहुंचने में काफी समय लग जाता है. सरकारी नियम का पालन स्वस्थ कर्मी करे और समय से अस्पताल पहुंचे तो इस तरह की घटना सायद ही लोगो को देखने को मिलेगा. लिहाजा यह साफ साफ डॉक्टर की लापरवाही देखने को मिल रही है. इस मामले को लेकर स्वस्थ पदाधिकारी ने बताया की लेट से डॉक्टर की आने की जानकारी मिली है. मामले की जांच कर कार्यवाई की जाएगी.