वैशाली: – कोरोना वायरस और लॉकडाउन के बीच सरकारें कितनी भी कोशिश कर लें कि आम जनता को तकलीफ न होने पाए, लेकिन कुछ अधिकारियों और जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों की वजह से मानवता भी शर्मसार हो रही है. बिहार के वैशाली जिले के दिग्घी स्थित बालिका छात्रावास में बने क्वरंटाइन सेंटर में एक शख्स ने आत्महत्या कर ली. उसकी रिपोर्ट में कोरोना का संक्रमण पाया गया था. लेकिन इससे बाद प्रशासन का जो रवैया सामने आया वह हैरान कर देने वाला है.
प्रशासन ने शव को कोनहारा घाट पर अन्तिम संस्कार के लिए कन्हाई मलिक नाम के शख्स को 1500 रुपये अपना देकर पल्ला झाड़ लिया. उस शख्स भी शव को अधजली हालत में छोड़कर भाग निकला. शुक्रवार सुबह जब आस-पास के ग्रामीणों ने शव को कुत्तों द्वारा खाते देखा तो लोगों ने इसकी सूचना प्रशासन और मीडिया को दी. इसके बाद आनन-फानन पुलिस की टीम वहां पहुंची. कोरोना मरीज के शव के साथ हुए इस हादसे से इलाके के लोग डरे सहमे हैं, लोगों को भय है कि कहीं प्रशासन की लापरवाही की वजह से वह संक्रमण के शिकार न हो जाए.
लेकिन आपको बता दें कि मानवता को शर्मशार कर देने वाली ऐसी घटना वैशाली जिले में पहले भी हो चुकी है. पिछली बार एक चोर की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी जिसके शव को भी प्रशासन ने ऐसे ही पानी में फें0कवा दिया था. उसके भी कुत्तों के नोच-नोच कर खाने की घटना सामने आई थी. मृत युवक वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर रामपुर गाँव का वीरेंद्र महतो का पुत्र राजेश महतो है,जो कि दिल्ली से यूपी के बलिया आया और वहाँ से पैदल हाजीपुर आया था जहाँ से उसे सेंटर में भर्ती कराया गया था।