झारखंड: सीएम हेमंत सोरेन से 20 जनवरी को पूछताछ के बाद ईडी एक बार फिर पूछताछ करेगी। ईडी की ओर से एक पत्र सीएम को भेजा गया है। इसमें ईडी ने 27 से 31 जनवरी के बीच समय और स्थान बताने को कहा है। सीएम से जमीन घोटाला मामले में ही पूछताछ होनी है। इससे पहले सीएम हेमंत सोरेन से 20 जनवरी को पूछताछ हो चुकी है। इस दिन ईडी के अधिकारियों ने उनसे साढ़े सात घंटे पूछताछ की थी। हालांकि पूछताछ के बाद कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने यह बात कही थी मैंने सभी सवालों के जवाब दिए हैं। आगे भी अगर ईडी पूछताछ करना चाहती है, तो वे जवाब देने को तैयार हैं।
आमदनी और आयकर रिटर्न को लेकर पूछे थे सवाल
बताया जाता है कि 20 जनवरी को पूछताछ के दौरान ईडी के अधिकारियों ने उनसे उनकी आमदनी के स्रोत के अतिरिक्त आयकर रिटर्न में दिए गए ब्योरे से संबंधित सवाल किए थे। यह पूछताछ मुख्यतः डीएवी बरियातू के पीछे स्थित 8.46 एकड़ जमीन से जुड़ी हुई थी। जानकारी के मुताबिक उक्त जमीन के अलावा दूसरे मामले से संबंधित सवाल भी पूछे गए थे। ईडी के अधिकारियों की ओर से तमाम सवालों पर सीएम के बयान दर्ज नहीं किए जा सके थे। इसलिए इस पूछताछ को अधूरा माना गया। 20 जनवरी को ही ईडी ने फिर से पूछताछ करने की बात की थी, लेकिन तब समय नहीं दिया था।
फाइलों का बंडल लेकर पहुंचे थे अधिकारी
सीएम हेमंत सोरेन से पूछताछ के लिए ईडी अधिकारी अपने साथ फाइलों का बंडल लेकर 20 जनवरी को पहुंचे थे। बाद में शाम चार बजे के करीब फिर से ईडी का कर्मचारी ऑफिस से फाइल लेकर आया। इसके बाद बंद कमरे में पूछताछ शुरू हुई। उस दिन महाधिवक्ता राजीव रंजन सुबह 11.30 बजे ही सीएम हाउस पहुंच गए थे। जानकारी के मुताबिक पूछताछ शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री ने उनसे कुछ लीगल टिप्स भी लिए थे। उनसे कागजी प्रक्रिया की जानकारी भी ली थी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल ने उठाए सवाल
बाबूलाल मरांडी ने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि 20 जनवरी की रात सीएम आवास से सटे एलपीएन शाहदेव चौक का वीडियो है, जहां धारा 144 लगा हुआ था और मुख्यमंत्री बड़ी बेशर्मी से अपने अधिकारियों के साथ कानून की धज्जी उड़ा रहे थे। ईडी अधिकारियों की सुरक्षा एवं उन्हें भाड़े पर लाए गए तीर-धनुष से लैश लोगों से बचाने के लिए आए सीआरपीएफ अफ़सरों-जवानों पर निषेधाज्ञा उल्लंघन का मुक़दमा करने वाली रांची पुलिस अगर क़ानून सम्मत काम करती है तो पहले मुख्यमंत्री और उनके भाड़े के टट्टूओं के साथ ही वहां मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अफ़सरों पर मुक़दमा करे। हेमंत जी ये केंद्रीय एजेंसी और केंद्रीय सुरक्षा बलों को डराने के लिए पुलिसिया ताक़त के दुरूपयोग का प्रयास फिर आपको भारी पड़ेगा। लिखकर रख लीजिए।