Patna:-
प्रायः देखा गया है कि लोग कॉलम, बोर्ड एवं खम्भों तथा बैरिकेड्स पर पोस्टर एवं पैम्फ्लेट्स लगा देते हैं, बैरिकेड्स के आसपास कूड़ा फेंक देते हैं और बैरिकेड्स एवं चेतावनी सूचक चिन्हों पर थूक कर उन्हें ख़राब करते हैं। इन बैरिकेड्स और बोर्डों को साफ़ करने के प्रयास में न केवल बहुत संसाधन लगता है, बल्कि रोज़ाना दर्जनों मजदूर आपके थूक, पान के पिक को साफ करते हैं। अतः आप सभी से अपील है कि आपका थोडा सहयोग से हम न केवल अपने शहर को स्वच्छ और सुदंर रखने में कामयाब होंगे बल्कि अत्याधिक मात्रा में पानी की बचत और मानव संसाधन का सदुपयोग कर पाएंगे। इसलिए पटना मेट्रो द्वारा लगाए गए कॉलम, बोर्ड एवं खम्भों तथा बैरिकेड्स पर न थूकें और अन्य लोगों को भी इस विषय पर जागरूक करें।
मानव संसाधन के अतिरिक्त इसमें इसे साफ करने में कई गैलन पानी व्यर्थ हो जाता है। पटना मेट्रो प्रोजेक्ट के अंतर्गत लगाए गए बैरिकेड्स एवं बोर्ड की सफाई में एक महीने में लगभग 64000 लीटर पानी का इस्तेमाल होता है अर्थात प्रतिदिन 2000 लीटर से अधिक पानी इनकी सफाई में व्यर्थ जाता है। पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता के कारण डीएमआरसी इसमें से 40 प्रतिशत रीसाइकल्ड पानी का इस्तेमाल करता है ताकि ताज़े पानी की खपत कम से कम हो।
इन कॉलम, बोर्ड एवं खम्भों तथा बैरिकेड्स पर थूकने और पोस्टर लगाने के कारण चेतावनी के संदेश छिप जाते हैं जो आने-जाने वालों के लिए खतरनाक हो सकता है और इन चेतावनियों का उद्देश्य भी पूरा नहीं हो पाता। जिसके कारण कभी कोई बड़ी दुर्घटना भी हो सकती है। ये कार्य आम जनता के हित में किये जाते हैं लेकिन लोग इसके प्रति संवेदनशील नहीं हैं। पटना मेट्रो रेल परियोजना शहर में यातायात व्यवस्था में एक बड़ा परिवर्तन लाने के साथ शहर की खूबसूरती का भी कायाकल्प करने के लिए तत्पर है।
शहर की स्वच्छता और पर्यावरण का ध्यान रखना पटना मेट्रो प्रोजेक्ट की प्राथमिकता में रहा है | बैरिकेडिंग एवं उसके नीचे जमने वाली धूल की नियमित सफाई के लिए बैरिकेडिंग बोर्ड की सफाई के उपाय किये जाते हैं जिससे कि कूड़ा-करकट/मिट्टी आदि को सड़क पर फैलने से रोका जा सके | शहर के नागरिक के रूप में ये हमारा कर्तव्य है कि हम मानव संसाधन एवं जल संसाधन को बचाने हेतु और स्वच्छता के मूलभूत सिद्धांतों का पालन कर के पटना मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के सभी निर्माणाधीन साइट्स को साफ़ सुथरा रखने के लिए आगे आएं।