RANCHI: प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक 2023 के माध्यम से सरकार ऐसा कानून लाने की कोशिश कर रह रही है, जिससे भय मुक्त और कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजित की जा सके। इस विधेयक को लेकर विपक्ष सरकार को घेर रहा है। सत्तापक्ष इस कानून के फायदे गिना रहा है। प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र अब भी इसे समझने में लगे हैं कि असल में इसका फायदा होगा या नुकसान ? छात्र कदाचार मुक्त परीक्षा तो चाहते हैं लेकिन ये नहीं चाहते कि जब प्रतियोगिता परीक्षा में गड़बड़ी हो तो इस कानून के डर से वो आवाज भी ना उठा सकें । ऐसे में इस विधेयक को लेकर हो रही चर्चा के बीच जरूरी है कि इसे ठीक से पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से समझा जाए। हमने इस विधेयक को लेकर कई लोगों से बातचीत की । यह समझने का प्रयास किया कि यह कानून छात्रों के हित में होगा या उनके गले की फांस बनेगा।
नियुक्ति परीक्षाओं की धांधली में भी बोलेंगे तो जाएंगे जेल
विधायक अमित मंडल के मुताबिक यह बिल सरकार युवाओं की आवाज को दबाने के लिए ला रही है । इसे दो उदाहरण से समझिए जब जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के रिजल्ट में उम्मीदवारों का सिलसिलेवार रिजल्ट जारी हुआ था । तब युवा सड़क पर आए । इसका विरोध किया । जबकि सरकार इसे भ्रामक मान रही थी । आप समझिए अगर उस समय यह बिल कानून का रूप ले लिया होता तो आज सभी विरोध करने वाले जेल में होते । दूसरा उदाहरण जेएसएससी से हुई जेई परीक्षा का है । इस परीक्षा का प्रश्नपत्र लिक हुआ था । तब भी विरोध हुआ । सरकार ने तब भी इसे गलत मान रही थी । छात्रों ने विरोध किया । उस समय भी यह कानून बन गया होता तो सभी जेल में बंद कर दिए गए होते ।
जेपीएससी – जेएसएससी की परीक्षाओं में कोई विरोध न हो इसके लिए बिल को लाया जा रहा है । कल को अगर परीक्षाओं में धांधली होती है या सीटों का बंदरबांट होता है तो छात्र विरोध न करें , इसलिए इस बिल को लाया जा रहा है ।
विद्यार्थियों का साल खराब करने वालों के खिलाफ है सरकार
जेएमएम विधायक सुदिव्य सोनू कहते हैं कि उत्तराखंड में भाजपा की ही सरकार हैं । वहां उन्होंने जो नियम लाया है , वही यहां भी है । सरकार विद्यार्थियों के विरोध में नहीं है । सरकार विद्यार्थियों का साल खराब करने वालों के खिलाफ है । हम चाहते हैं कि परीक्षाएं जेपीएससी जैसी हों , जहां हॉकर की बेटी भी बीडीओ बने । 252 दिनों में रिजल्ट प्रकाशित हो । सरकार इसकी व्यवस्था कर रही है । इसको छात्रों के अहित से जोड़ कर देखना गलत है । हम परीक्षा धांधली और पेपर लिक को शत – प्रतिशत सील करना चाहते हैं । फिर भी स्पष्ट कहना चाहते हैं कि कोई भी कानून पूर्णरूपेन पूर्ण नहीं होता । उसमें हमेशा संसोधन की गुजाईश होती है । अगर इसपर सुझाव आ रहे हैं तो सरकार इसपर गंभीरता से सोचेगी ।
छात्र विरोध करेंगे तो जेल जाएंगे , यह कहां तक सही
प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली संस्थान एनआइबीएम के निदेशक एमके गुप्ता का कहना है कि सरकार की मंशा जैसी हो पर इस पर विचार करने की जरूरत है। राज्य में कई उदाहरण ऐसे मिले हैं, जब छात्रों के विरोध को सरकार ने अनुचित माना और फिर बाद में खुद की गलती स्वीकार की। अगर छात्र विरोध करेंगे तो जेल जाएंगे , यह कहां तक सही हैl हम भी चाहते हैं कि परीक्षा कदाचार मुक्त हो। लेकिन नियम बनाने से पहले ध्यान रखना चाहिए।
कदाचार मुक्त परीक्षा और नियुक्ति है उद्देश्य
एडमिनिस्ट्रेटिव कोचिंग सेंटर के निदेशक डॉ अनिल कुमार मिश्रा इस विधेयक को उचित मानते हैं । उनका कहना है कि इस नियम से नुकसान नहीं होना है । बिल देखने के बाद तो सही लगता है कि राज्य सरकार का उद्देश्य कदाचार मुक्त परीक्षा का आयोजन कर नियुक्ति करना है । राज्य में नियुक्तियों पर विवाद को इतिहास रहा है , उसमें इस नियम से रोक लगेगी । उनका कहना है कि नियुक्ति करने वाली एजेंसियों पर विश्वसनीयता बढ़ेगी । यह नियम मेरिट पर नियुक्त करेगा । गलत तरीके से सेवा में आने को आतुर लोगों पर नकेल कसेगा । सरकार का यह प्रशंसनीय कदम है ।
छात्रों में है असमंजस की स्थिति
छात्रों के बीच इस बिल को लेकर असमंजस की स्थिति है । छात्र यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्हें इस नियम का लाभ मिलने वाला है या फिर नुकसान उठाना होगा । हालांकि सरकार से उनकी उम्मीदें भी हैं कि जो भी निर्णय होगा वो छात्रों के हीत में ही होगा ।
इसलिए हो रहा विवाद
परीक्षा की प्रक्रिया में शामिल होनेवाली एजेंसियों , सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्रश्न पत्र लीक करने या परीक्षा की गोपनीयता भंग करनेवाली जानकारी को सार्वजनिक करने को दंडनीय अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है । इसके अलावा परीक्षा ड्यूटी में शामिल कर्मचारियों , उनके पारिवारिक सदस्यों या रिश्तेदारों को धमकी देने और परीक्षा के संबंध में गलत सूचना प्रचारित करने व अफवाह फैलाने को भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है । विधेयक में दंड के संबंध में किये गये प्रावधान के अनुसार , अगर कोई परीक्षार्थी नकल करते या कराते हुए पकड़ा जाता है , तो उसे तीन साल की सजा होगी . साथ ही उस पर पांच लाख रुपये तक का दंड लगाया जा सकेगा । दंड की रकम नहीं चुकाने पर अतिरिक्त नौ महीने की सजा होगी । परीक्षार्थी के दूसरी बार चोरी करते कराते पकड़े जाने पर सात साल की सजा होगी लाख रुपये दंड लगेगा ।
परीक्षार्थी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दायर कर दो से पांच साल तक परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जायेगा । न्यायालय द्वारा सजा होने पर संबंधित परीक्षार्थी 10 साल तक प्रतियोगी परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेगा । परीक्षा की प्रक्रिया में शामिल किसी कंपनी या एजेंसी द्वारा परीक्षा की गोपनीयता भंग करने , प्रश्न पत्र लीक करनेवालों को कम से कम 10 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा होगी । साथ ही एक करोड़ से लेकर दो करोड़ रुपये तक दंड लगेगा । दंड की रकम नहीं चुकाने पर अतिरिक्त तीन साल के कारावास की सजा होगी ।
रांची से गौरी रानी की रिपोर्ट