PATNA : जातीय गणना पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। इसके बाद गुरुवार यानी आज हाईकोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। इससे पहले पटना हाईकोर्ट में दो दिन से दोनों पक्ष दलीलें पेश कर रहे थे। वहीं,बहस के दौरान महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि सरकार को गणना करने का अधिकार है। राज्य में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों समेत जन्म और मृत्यु की भी गणना करनी है। उन्होने कहा कि सरकारी लाभ लेने के लिए सभी अपना जाति बताने के लिए तैयार रहते हैं।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा है कि आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है। जातीय गणना कराना सरकार के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं इस गणना का उद्देश्य क्या है क्या इसे लेकर कोई कानून भी बनाया गया है । जिसके जवाब में सरकार की ओर से कोर्ट में महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा है कि, जन कल्याण की योजनाओं के लिए गणना कराया जा रहा है। इसके लिए बिहार विधानसभा और विधान परिषद से प्रस्ताव पारित होने के बाद ही निर्णय लिया गया है। ये राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है। इसके लिए बजटीय प्रावधान किया गया है। इस गणना से सरकार को गरीबों के लिए नीतियां बनाने में आसानी होगी।
वहीं याचिकाकर्ताओं द्वारा कहा गया है कि, बिहार सरकार के पास जातियों को गिनने का अधिकार नहीं है। ऐसा करके सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि, जाति आधारित गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और उनकी योग्यता का भी ब्यौरा लिया जा रहा है, ये उसके गोपनीयता के अधिकार का हनन है। इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया था कि राज्य सरकार को जाति गणना कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसके साथ ही इस पर खर्च हो रहे 500 करोड़ रुपए भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है।
पटना से विशाल भारद्वाज की रिपोर्ट