PATNA : आज मेरी बारी तो ,कल तेरी बारी यह किसी के साथ भी हो सकता है। जब मां-बाप अपने बच्चों को लाड प्यार से पालते है लेकिन बच्चा अगर बड़ा हो जाए तो मां-बाप को सड़क के किनारे रहने के लिए छोड़ देते है। दरसरल एक ऐसे ही कहानी एक बूढ़े मां बाप की है। जिसे उनके ही बच्चों ने 5 महीने से दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिए है।
बता दें पटना से सटे हुए 40 किलोमीटर की दूरी टक्कर विक्रम गांव महज पूरा की रहने बूढ़े मां बाप सत्येंद्र शर्मा रिया मनी देवी अपने ही घर से उनके छोटी बेटी ने उन्हें घर से बेघर कर दिया। वह पटना कि रैन बसेरा आर ब्लॉक के पास रह रही है और वहीं पर अपना जीवन यापन कर रही यह जिंदगी की हकीकत कहानी है और किसी तरीके से 5 महीने से अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
the hd news के कैमरे पर पूरी आपबीती बूढ़े मां बाप ने बताते हुए कहा कि , किस तरीके से अपने परिवार की यादें आती है। आज बहू और बेटी के अत्याचार से वह घर से बेघर है. किसी परिवार के यहां इसलिए नहीं जाती कि उन्हें बुझ बनना अच्छा नहीं लगता उनका कहना है कि जब पोता पोती का फोन आता है तो आंखें नम होकर आंखों से आंसु निकलने लगती है।आज हमें ही अपने घर से वह बेटा और बहू बाहर का रास्ता दिखा दी है। बड़े बेटे का नाम शंभू कुमार बताया जा रहा है।
बता दें बूढ़े मां बाप FIR करने थाने भी गए थे। लेकिन विक्रम थाने ने फिर लेने से मना करते हुए उल्टा डांट कर गाली गलौज कर भगा दिया। क्योंकि उस बूढ़े मां बाप का बेटा बालू माफियाओं के साथ सांठगांठ और थाने और एसपी की मिली भगत से बालू माफियाओं का चलता है। जिसकी वजह से उसके खिलाफ FIR नहीं लिखा है। उनका यही कहना है कि हमारे बेटी को 10 साल की सजा पुलिस करें .जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश है ,कि बूढ़े मां बाप को अगर जो बच्चा घर से बेघर करेगा उसे संपत्ति से बेघर कर दिया जाएगा। और उल्टा उसे जेल की सजा काटनी पड़ सकती है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कहीं ना कहीं थाने में भी अवहेलना किया जा रहा है।
पटना से संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट