KAIMUR: कैमूर के नुआंव प्रखंड के सातो अवंती मां कामाख्या मंदिर प्रांगण में 22 जनवरी को जलभरी के साथ महायज्ञ की शुरूआत हुई। जहां मां कामाख्या शक्तिपीठ मंदिर में पांचवें दिन दर्शनार्थियो की मेले में भीड़ उमड़ी। वहीं मंदिर के व्यवस्थापक संतोष सिंह पत्नी विनीता सिंह मानस पाठ कर पूजा अर्चना किए।
वहीं इस महायज्ञ में भंडारा का आयोजन 31-01-2023 रविवार को महायज्ञ के साथ संपन्न किया जायेगा। मेलें में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी गई। वहीं मां कामाख्या मंदिर प्रांगण में पुंडरीक महाराज जी के द्वारा मानस पाठ में बताए कि जीवन में साधना की पूंजी हो तो ब्रह्मांड नतमस्तक हो जाता है। मानस के प्रत्येक छंदों में रहस्य छिपा हुआ है।
उसमें जीवन का सार तत्व भरा हुआ हुआ है। नुआंव प्रखंड के सातो अवंती में स्थित मां कामाख्या मंदिर के प्रांगण मे चल रहे मां भगवती कामाख्या महायज्ञ के पांचवें दिन प्रवचन के दौरान मानस कोकिला विजयालक्ष्मी शुक्ल ने कही। उन्होंने सीता हरण के पश्चात की कथा का प्रसंग सुनाते हुए कहा की सीता शांति स्वरूपा हैं।
उन्हें धरती पर लाने वाला रावण ही था। जीवन की तपस्या व्यक्ति के रोम-रोम मे प्रवाहित होती है। और यही कारण हुआ की तपस्या कर रहे संतों का खून निकालकर रावण लंका मे ले जाकर एक घड़ा में रखकर मंदोदरी से कहा की इस घड़ा के तरफ भूल कर भी नहीं देखना। लेकिन मंदोदरी को उस घड़ा को देखने की इच्छा हुई, और उसने आधी रात को उस घड़ा को जाकर देखा तो एक दिव्य सुंदर कन्या दिखी।
यहीं कन्या मिथिला मे जनक की पुत्री बनी जिसका हरण रावण ने किया था। तब मंदोदरी ने रावण से कहा यह रक्त रंजित कन्या सीता के रूप में इस पूरी लंका का विनाश करने के लिए आई हुई है। उन्होंने कहा कि वहीं सीता रावण सहित पूरी लंका के विनाश का कारण बनीं। उन्होंने कहा कि मानस के प्रत्येक शब्दों में रहस्य छिपा हुआ है और उसमें जीवन का सार तत्व भरा हुआ है। जीवन में साधना की पूंजी हो तो ब्रह्मांड भी नतमस्तक हो जाता है।
संतोष ही लोभ रूपी शत्रु को मार सकता है। वहीं महायज्ञ आयोजक महेंद्र सिंह, डॉ दिनेश उपाध्याय, रमेश जी, बजरंगी जी, मुटून मुखिया, बबुआ जी, राकेश जी, सतेंद्र आदि मंदिर के गणमान्य लोग उपस्थित है। आयोजित महायज्ञ में 24 घंटे 12 घंटे संकल्पित परिक्रमा करने वाले महिला और पुरुषों की भीड़ श्रद्धालुओं की जमी रही।
संवाददाता -: अमित कुमार गुप्ता की रिपोर्ट