PATNA : महज 8वीं पास सुबोध सिंह आज सोना लूट कांड का बेताज बादशाह बन गया है। सुबोध साइबर अपराध का हर गुर जानता है। हालांकि, सुबोध पिछले कुछ सालों से पटना के बेउर जेल में बंद है। लेकिन फिर भी उसके गैंग में नए लोगों की भर्ती जारी है। आज से 10 साल पहले सुबोध सिंह अकेले था। लेकिन, आज सुबोध सिंह के गैंग में लगभग 200 शातिर चोर मौजूद हैं, जो सुबोध सिंह के लिए जान भी दे सकते हैं. गैंग में नए चोरो की बहाली बेउर जेल से ही होती है। जैसे ही बेउर जेल में चैन स्नैचिंग या छीनतई के मामले में कोई अपराधी पकड़ा जाता है, वैसे ही जेल में सुबोध सिंह और उसके गुर्गे उसपर नजर बना लेते है।
उसको पहले जेल में ही सुख सुविधा मिलने लगता है। जैसे ही वो चोर को लगने लगता है कि सुबोध उसका हमदर्द है, सुबोध और उसके गुर्गे उस चोर का ब्रेनवाश करते हैं। उसे बताते हैं कि छोटी मोटी चोरी से कोई फायदा नहीं है अगर कुछ बड़ा करना है तो हमारे गैंग में शामिल हो जाओ। सुबोध सिंह और उनके गुर्गों के जेल के जीवन शैली से प्रभावित होकर चोर इसके गैंग में शामिल होना मंजूर कर लेते हैं। उसके बाद शुरू होता है सुबोध सिंह के पैसे का खेल। सब से पहले सुबोध उस चोर की आर्थिक मदद करता है। सुबोध अपने ही पैसे से उस चोर का बेल करता है। बेल करवाने के बाद सुबोध के गुर्गे जो बाहर हैं, उसे ट्रेनिंग देते हैं। उसके बाद सुबोध के कहने पर वो छोटा चोर सोना के बड़े लूट कांड में शामिल हो जाता है। उसके बाद वह छोटा चोर बड़े सोना लूट कांड का मास्टर बन जाता है।
सुबोध अपने गुर्गों का खास ख्याल रखता है। कुछ चोरो को तो सुबोध तनख्वाह भी देता है, ताकि वो सुबोध के वफादार बने रहें। सुबोध अपने गुर्गों को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होने देता। आज सुबोध सिंह के लिए काम करने वाले चोरों के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। अच्छी जिंदगी, महंगे फोन, महंगे मोबाइल, महंगे जूते, अच्छे कपड़े ही सुबोध के गुर्गों की पहचान है। सुबोध अपने गुर्गों की हर संभव मदद करता है। इसीलिए उसके गुर्गे उसके लिए जान देने को भी तैयार रहते हैं।
सुबोध सिंह ऐसे तो बहुत गलत काम करता है, लेकिन उसकी सबसे बड़ी खासियत है की वह कभी शराब नहीं पीता। किसी तरह का नशा नहीं करता। सिर्फ सिगरेट का शौकिन है। लेकिन, सुबोध मांसाहार का बहुत बड़ा प्रेमी है। जेल में भी उसके लिए मांसाहार की व्यवस्था हो जाती है। अगर लत की बात करें तो सोना लूटने के अलाव सुबोध को सिर्फ मांसाहार की लत है।
सुबोध को उसकी दुनिया या उसको जानने वाले दानवीर कर्ण के नाम से बुलाते है, इसका सब से बड़ा कारण है अपने पास मदद मांगने आने वालों को सुबोध कभी खाली हाथ नहीं भेजता। कही से कोई आ जाए सुबोध उसकी मदद करता है। सुबोध जेल में भी बंद कई कैदियों की मदद करता है। जेल में बंद हर गरीब कैदी का मसीहा है सुबोध। यहां तक कि जेल में तैनात कुछ पुलिस वालों की भी कई बार सुबोध ने मदद की है।
पटना से संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट