FULWARISHARIF : फुलवारीशरीफ के मौर्य विहार कॉलोनी के लोगों ने नमामि गंगे के तहत बन रहे प्रोजेक्ट का विरोध किया है। आखिर लोगों ने इस प्रोजेक्ट का विरोध क्यों किया, वह जानते हैं. बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रमुख “नमामि गंगे” कार्यक्रम को मंजूरी दी. नमामि गंगे प्रोग्राम्स एक एकीकृत संरक्षण अभियान है जिसे जून 2014 में केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रमुख कार्यक्रम के रूप में अनुमोदित किया गया है। इसमें राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रदूषण, संरक्षण और कायाकल्प के प्रभावी कमी के दो उद्देश्यों को पूरा करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया है।
सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए नमामि गंगे नामक एक गंगा संरक्षण मिशन को शुरू किया है । गोमुख से लेकर हरिद्वार के सफर के दौरान गंगा 405 किलोमीटर का सफर तय करती है। अपने किनारे बसे 15 शहरों और 132 गांवों के कारण इनसे निकलने वाले कूड़ा – करकट से लेकर करोड़ों लीटर सीवरेज ने गंगा को मैला कर दिया है। इसके तहत 2017 से उत्तराखंड में गंगा की निर्मलता के लिए कोशिशें शुरू हुई और वर्तमान में 65 प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं।
वहीं, फुलवारीशरीफ के मौर्य विहार के लोगों का कहना है कि ये नमामि गंगे प्रोजेक्ट पहले नहर के उस पार खगौल नगर परिषद में बनाना था लेकिन उस पार न करके इधर कर दिया गया जहां घनी आबादी है जो कि नगर पंचायत में पड़ती है। लोगों का ये भी कहना है कि इस प्रोजेक्ट से बढ़ने से आसपास में बदबू और कंपन करने वाली मशीन से घरों में दिक्कतें आएगी। पहले तो हम लोगों को बोला गया कि ये पानी टंकी बनाया जा रहा है। हम लोगों ने कुछ नहीं बोला लेकिन जब बाहर में लगा बोर्ड देखा कि नमामि गंगे का है तब हम लोगों ने इसका विरोध किया और काम रोकने के लिए बोला।
वहीं, इस प्रोजेक्ट के कार्यपालक अभियंता अखिलेश प्रसाद ने कहा कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट बन रहा है जिससे आसपास के लोगों के लिए राहत होगी पर इन लोगों का कहना है कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट से बदबू और कंपन मशीन से आसपास के घर कमजोर हो जाएंगे। हमने इन लोगों से कहा कि जो भी प्रोजेक्ट बन रहा है वह सरकारी सहमति से बन रहा है।
पटना से रजत कुमार की रिपोर्ट