PATNA : एशियन सिटी हॉस्पिटल ने नवीनतम तकनीक से पटना के लोगों के इलाज में सबसे अग्रसर रहने की महत्वकांक्षा के साथ एंजियोप्लास्टी के क्षेत्र में एक बड़ी कामयाबी दर्ज की है. अस्पताल ने अत्याधुनिक स्वदेशी सॉल्यूबल स्टेंट/ बायोरीसोर्बेबल स्कैफोल्ड (बीआरएस) का सफल इम्प्लांट किया.
इस बारे में डॉ. आदित्य कुमार का कहना है कि, हम मरीजों के लिए नवीनतम तकनीक पेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. एंजियोप्लास्टी के क्षेत्र में अत्याधुनिक समाधान है सॉल्यूबल स्टेंट या बीआरएस। यह एंजियोप्लास्टी कराने वाले मरीजों के लिए वरदान है क्योंकि यह शरीर के अंदर आजीवन मेटल स्टेंट मौजूद होने की चिंता को दूर कर देगा. हालांकि, दिल-धमनी की बिमारियों के इलाज में मेटैलिक ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट लगाने का काफी चलन है लेकिन स्थायी रूप से लगे मेटल स्टेंट की वजह से साल दर साल नई समस्याओं का खतरा बना रहता है और यहां तक कि बहुत बाद में भी प्रतिकूल परिणाम दर्ज किये गए हैं. ऐसे में बीआरएस तकनीक एक बेहतर विकल्प है क्योंकि ब्लॉकेज ठीक होने के कुछ समय बाद (लगभग 2 से 3 वर्ष) बायोरीसोर्बेबल स्कैफोल्ड घुल जाता है.
(सीवीडी) दिल धमनी की बीमारी भारत में मृत्यु का एक मुख्य कारण है. दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारतीयों में सीवीडी से संबंधित मृत्यु का अधिक खतरा है. खासकर भारत में इस समस्या का अधिक प्रकोप देखा गया है और पटना के हालात देश के बाकी हिस्सों से बहुत अलग नहीं है जहां युवकों में दिल धमनी की बीमारी का प्रकोप पश्चिमी देशों की तुलना में दोगुना है. जिंदगी में अधिक तनाव और कम शारीरिक गतिविधि के चलते युवा आबादी में अन्य गैर-संक्रामक रोगों का प्रकोप भी बढ़ा है, जिनमें डायबिटीज मेलिटस, मोटापा और उच्च रक्तचाप शामिल है. इन बिमारियों और सीवीडी के खतरा के बीच गहरा संबंध है.
पटना के 52 वर्षीय मिस्टर पुनीत (पहचान छिपाने के लिए नाम बदल गया है) डायबिटीज, उच्च रक्तचाप के मरीज ने दैनिक काम-काज करते हुए छाती में तकलीफ और सांस फूलना महसूस किया। उन्हें एशियन सिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया जहां कुछ सामान्य जांच की गई जैसे कि इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम (ईसीजी) और ईको. जांच की रिपोर्ट और लगातार छाती में दर्द के आधार पर कोरोनरी आर्टरी एंजियोग्राफी की गई. जांच के परिणामों से यह सामने आया कि एक रक्त वाहिका में ब्लॉकेज है. मरीज की दिल की धमनियों में गंभीर घाव और ब्लॉकेज थे. इसलिए यह सुझाव दिया गया कि एंजियोप्लास्टी करना जरुरी है.
मरीज की उम्र और उनकी धमनी के ब्लॉकेज को ध्यान में रखते हुए डॉ. आदित्य कुमार और उनकी टीम ने यह निर्णय लिया कि उनके दिल की दाहिनी धमनी में हाल ही में लांच स्वदेशी सॉल्यूबल स्टेंट या बीआरएस लगाया जाए. सॉल्यूबल स्टेंट या बायोरीसोर्बेबल स्कैफोल्ड (बीआरएस)काम में मेटल के स्टेंट की तरह कारगर हैं लेकिन ये नॉन-मेटेलिक अस्थाई मेश ट्यूब हैं जो लगाने के कुछ समय के बाद (लगभग 2 से 3 वर्षों) में घुल जाते हैं. बीआरएस पॉली-एल-लैक्टाइड (पी एल एल ए) नामक पॉलीमर से बना है जो घुल जाने योग्य स्टीच/सूचर में प्रयुक्त सामग्री के सामान होता है.
आम स्टेंट से भिन्न स्कैफोल्ड के पूरी तरह भूल जाने के परिणामस्वरूप रक्त वाहिका मेटल के पिंजरे से मुक्त हो जाती है और धमनी फिर से अपनी सहज स्थिति में आ जाती है. इस तरह आजीवन खून पतला करने की दवा पर मरीज की निर्भरता कम हो जाती है और यदि भविष्य में उसी धमनी का इलाज करना पड़ा तो भी कोई कठिनाई नहीं आती है.
स्वदेशी खुलने वाला स्टेंट बीआरएस दुनिया का पहला 100 माइक्रो माइक्रोन थिन-स्ट्रट स्ट्रेटस्कैप है और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) और यूरोप में सीआई अप्रूवल से मान्यता प्राप्त है.
पटना से प्रीति दयाल की रिपोर्ट