GIRIDIH: झारखंड सरकार शिक्षा को लेकर चाहे लाख दावा कर लें मगर ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान हकीकत कुछ और ही बयान करती है। शिक्षक स्कूल में क्या और किस तरह की शिक्षा देते हैं इसकी बनगी इस बात से पता चलती है जब छात्रों से कुछ सवाल किए जाते हैं।
सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार ने जाने कितना रूपया पानी मेें बहा रही है। सरकारी स्कूल के शिक्षक मोटी मोटी तनख्वाब पाते हैं। मगर बात जब शिक्षा की आती है तो वही ढ़ाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती नजर आती है।
द एच डी न्यूज संवादाता मनोज वर्णवाल ने गिरिडीह के देवरी प्रखंड के स्कूल का जायजा लिया तो उसकी हकीकत देख ऐसा लगता है मानों सबकुछ शून्य से गुणा कर दिया हो। देवरी सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था पर जिला शिक्षा पदाधिकारी को औचक निरिक्षण करने की जरूरत है।
सरकार शिक्षा के लिए प्रखण्ड के साथ-साथ गावँ में भी स्कूल की वयवस्था करवा रही है दूसरे और पढ़ाई के नाम पर बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। हम बात कर रहे है देवरी प्रखण्ड अन्तर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय जगसीमर की जहां पांचवी क्लास की बच्चों से बात किया गया और स्कूल का नाम पूछा जाता है तो स्कूल का नाम नही बता पाता है।
बच्चे छोटे मोटे सवालों का उत्तर देने में असमर्थ दिखााई पड़ते हैं। स्कूल के बारे में जानकारी यह भी मिली कि शिक्षक के द्वारा माध्यान भोजन का पैसा घपला कर लिया जाता है। जो प्रथम वर्ग से पंचम कक्षा तक 300 रु. करके बांटा गया है जबकि प्रति बच्चों के पीछे लगभग 1700 रुपये करके आया है।
गिरिडीह देवरी से संवाददाता मनोज लाल बर्नवाल की रिपोर्ट