रांची : झारखंड की राजधानी रांची प्रेस क्लब सभागार में दो अप्रैल से जारी भाकपा माले की केंद्रीय कमेटी की बैठक के दूसरे दिन रविवार को कई अहम प्रस्तावों पर चर्चा हुई. पार्टी पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड कविता कृष्णन, केंद्रीय कमेटी सदस्य कामरेड गीता मंडल और क्लिफ्टन रोजारियो ने संयुक्त प्रेसवार्ता में इन प्रस्तावों की जानकारी दी.
केंद्र सरकार लोकतांत्रिक अधिकारों पर कर रही हमला
कविता कृष्णन ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार की सोची समझी नीति के तहत देश में नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों और संविधान पर हमले तेज हुए हैं. विशेषकर समाज के कमजोर तबकों के साथ-साथ महिलाओं की भलाई के नाम पर उनकी आजादी और शिक्षा जैसे बुनियादी अधिकारों को कुचला जा रहा है. कर्नाटक से शुरू किए गए ‘हिजाब पर रोक’ के बहाने नए सिरे से मुसलमान विरोधी उन्मादी ध्रुवीकरण देश में फैलाया जा रहा है. एक ओर, हिन्दू महिलाओं के पहनावे को लेकर तो दूसरी ओर, शिक्षा प्राप्त कर रहीं मुस्लिम लड़कियों व शिक्षिकाओं को टारगेट कर ‘महिला विरोधी’ कट्टर विचारों को थोपा जा रहा है. जिसे बड़े आंदोलनों के जरिये रोका जाना बेहद जरूरी है. भाकपा माले पूरी ताकत से ऐसे आंदोलनों को खड़ा करने में सक्रिय भूमिका निभाएगा. हेमंत सोरेन सरकार द्वारा जनता से किए गए सभी वादों को पूरा कराने के लिए पार्टी सक्रिय भूमिका निभाएगी.
ड्रोन से ग्रामीण जमीनों का सर्वे आदिवासी विरोधी कदम
आदिवासी अधिकार के सवालों के सन्दर्भ में क्लिफ्टन रोजारियो ने झारखंड सरकार द्वारा आदिवासी विरोधी ड्रोन सर्वे पर तात्कालिक रोक को नाकाफी बताते हुए इसे लागू नहीं करने के लिए सरकार से विशेष निति बनाने की मांग की. कारपोरेटपरस्त सरकारों द्वारा जल, जंगल, जमीन और खनिज लूट पर रोक के लिए सीएनटी/एसपीटी और पेसा कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाने को अत्यावश्यक बताया. साथ ही वर्षों से विभिन्न जेलों में झूठे मुकदमों में बंद सभी विचाराधीन आदिवासी और गरीबों की शीघ्र रिहा करने की मांग की. इसके लिए रिटायर्ड जज के नतृत्व में विशेष आयोग गठित करने की वकालत की.
स्कीम वर्करों को कर्मचारी का दर्जा दिलाने के लिए होगा आंदोलन
स्कीम वर्करों के सवाल पर आंदोलन संगठित करने में जुटीं केंद्रीय कमेटी की सदस्य गीता मंडल ने बताया कि सरकार की योजनाओं को पूरा करने में जुटे स्कीम वर्कर को सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिलना चाहिए. आरोप लगाया कि इन योजनाओं में काम के बदले महिलाओं का हर तरह से शोषण किया जाता है. सामान काम के बदले सामान वेतन देना तो दूर हेमंत सोरेन सरकार ने हजारों पोषण सखी महिलाओं को काम से ही हटा दिया है. भाकपा माले ने ऐसे वर्करों को एकजुट कर आंदोलन करने का निर्णय लिया है.
गौरी रानी की रिपोर्ट