रांची: प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन को एक पत्र लिख कर तमाम बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कराया है। उन्होंने लिखा है कि लॉकडाउन के बीच शुक्रवार को तेलंगाना में फंसे झारखंड के प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों के लिए विशेष रेल का परिचालन कर उन्हें झारखंड लाया गया है। भारत सरकार ने इस वैश्विक आपदा में देश भर में पहली रेल झारखंड के लोगों की सहूलियत के लिए खोली, यह पूरे झारखंडवासियों के लिए गौरव का विषय है। साथ ही केन्द्र सरकार की झारखंड के नागरिकों के प्रति प्रगाढ़ स्नेह का भी यह परिचायक है। रेल माध्यम से ही तेलंगाना के अलावा कोटा से भी छात्रों व अन्य लोगों के झारखंड आने का सिलसिला जारी है। अब धीरे-धीरे सभी स्थानों से प्रवासी मजदूरों व छात्रों के अपने राज्य लौटने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। हैदराबाद में गिरिडीह जिले के भी हजारों लोग फंसे हुए हैं। इनमें से ही के कुछ लोगों ने मुझे व्हाट्सएप पर अपनी पीड़ा से अवगत कराते हुए कुछ जानकारियां साझा की है। आपके सुलभ संदर्भ के लिए हूबहू पत्र के साथ इसे संलग्न कर रहा हूं। इन्होंने जैसा बताया, उसके मुताबिक यहां जिले के तकरीबन 15000 से अधिक लोग फंसे हुए हैं। इसमें अधिकांशः लोग गिरिडीह, जमुआ, धनवार के बताए जा रहे हैं। इनका कहना है कि झारखंड सरकार सभी प्रवासियों को जो राशन उपलब्ध कराने का दंभ भर रही है इसमें महज लगभग 10 प्रतिशत लोगों को ही राशन मिल पाया है।
वहीं मुख्यमंत्री विशेष सहायता एप्प के तहत खाता में मिलने वाली 1000 रूपये की राशि भी लगभग 2-3 फीसदी से अधिक लोगों को नहीं मिली है। इनकी स्पष्ट शिकायत है कि सरकार ने नोडल पदाधिकारी तो राज्यवार नियुक्त कर दिएं परंतु किसी नोडल अधिकारी का नंबर लगता तक नहीं है। कभी लग भी गया तो कोई फोन उठाता नहीं है। इन लोगों का सरकार से आग्रह है कि अगर सरकार के पास इनको लाने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है तो ये लोग अपने खर्च से भी आ सकते हैं। सरकार से इनका निवेदन बस इतना है कि इन्हें यहां आने की आधिकारिक इजाजत दिलवा दी जाए। इन लोगों में से सैकड़ों लोग सपरिवार फंसे हुए हैं। इन्हें खासकर और अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अभी कभी-कभार गलती से झारखंड में किसी अधिकारी से बात हो जा रही है तो इन्हें कुछ दिन ओर रूकने की बात कहकर टाल दी जा रही है। दूसरे लोगों को अपने शहर लौटता देख इनके लिए इस भारी संकट के समय एक-एक पल गुजारना भारी पड़ना लाजिमी है। साथ ही कुछ अन्य जानकारियां भी उपलब्ध कराई है जिसे आप स्वयं देख और समझ सकते हैं। इस व्हाट्सएप में जो बात कही गई है, सरकार ने मजदूरों को लाने का क्या पैमाना बनाया है, इसको आप देखिए।
इन मजदूरों की पीड़ा को भी अपने स्तर से देखने की जरूरत है। हमारा विनम्र आग्रह होगा कि अविलंब ऐसे सभी लोगों को झारखंड वापस लाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। बेहतर होगा, इसकी जानकारी आप हमें भी उपलब्ध कराईए। इसमें किसी प्रकार का भेदभाव और क्षेत्रीयता का कोई जगह नहीं हो। राज्य के लिए सभी मजदूर समान हैं। मजदूरों ने यह भी आग्रह किया है कि खुद आने में सक्षम मजदूरों के लिए सरकार अविलंब सभी अहर्ताओं का पालन करते हुए पास उलपब्ध करावे। आशा है, उपरोक्त विषय को एक अति गंभीर मुद्दा मानकर इस पर त्वरित कदम उठायेंगे। ऐसे तमाम लोगों को चिन्ह्ति कर तत्काल अपने राज्य वापस बुलाने की दिशा में सर्तकता के तमाम जरूरी अर्हताओं का पालन करते हुए समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहेंगे। ताकि ये सभी परेशानी से बच सकें।