पटना ब्यूरो
पटना: एमएलसी केदारनाथ पांडे ने कहा कि 17 फरवरी से प्राथमिक और 25 फरवरी से माध्यमिक शिक्षकों की हड़ताल लगभग 70 दिनों से अधिक होने को है और सरकार संवेदनशून्य बनीं हुईं है। शिक्षक संघों ने अपनी ओर से सरकार को भी ये साफ़ साफ़ कि कहा सरकार दमनात्मक कार्रवाईओं को बंद कर उनकी हड़ताल अवधि के वेतन का भुगतान करे। उनसे सम्मानजनक वार्ता करे ताकि इस गंभीर स्थिति में हड़ताल को समाप्त कराया जा सके। केदारनाथ पांडे ने कहा की बिहार शिक्षा विभाग बिल्कुल तानाशाही रवैए में काम करने कि आदी हो चुका है और वो बार बार प्रतिदिन नई नई चिट्ठियां निकाल कर धमकाते जा रहा है। इससे यह भ्रम है कि इस प्रकार के हथकंडे से, दमनात्मक कार्रवाई से शिक्षक झुक जायेंगे और हमें अपनी नाकामियों को छुपाने का मौका मिल जाएगा, जो यह उसका सपना है जो दिन में देखती है। यह हड़ताल शिक्षा विभाग की नाकामयाबियों का परिणाम है।
पांडे ने कहा की पांच वर्षों में भी शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली अधिसूचित नहीं किया। तीन वर्षों से अधिक समय गुजर गया। जबकि सरकार लांग टर्म प्रोग्राम में माध्यमिक शिक्षा को पंचायती राज व्यवस्था से अलग करने का निर्णय मुख्यमंत्री ने लिया था। उस निर्णय को भी क्रियान्वित नहीं किया। यहां तक कि वित्त रहित शिक्षकों चाहे वो कालेजों के हों, स्कूलों के हों या विश्वविद्यालयों के हों उनके लिए राशि मुख्यमंत्री ने स्वीकृत करने की बात कही थी। उसे समय से नहीं दिया गया। लैप्स करवा दिया गया। केदारनाथ पांडे ने कहा की इस तरीके से एक पर एक नाकामी शिक्षा विभाग छुपाता जा रहा है और कोरोना के इस वैश्विक संकट में भी शिक्षक सरकार के साथ खड़े हैं; पीड़ित मानवता की सेवा कर रहे हैं। उन्हें डराने धमकाने सरेंडर कराने की सारी प्रक्रिया मुफ्फसिल के अधिकारियों से शिक्षा विभाग लगातार कर रहा है। विडंबना ये है कि शिक्षा मंत्री अखबार में बयान जारी करते हैं। मीडिया में सिर्फ बयान करते हैं। सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए मंत्री परिषद की अन्य बैठकें भी हो रही हैं तो क्या हड़ताल जैसी गंभीर समस्या का समाधान सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर नहीं हो सकता है?