रांची ब्यूरो
रांची: अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के मौके पर शुक्रवार से प्रवासी मजदूरों की झारखंड वापसी का सिलसिला शुरू हो चुका है। यह तब तक जारी रहेगा, जब तक लॉक डाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर, किसान, विद्यार्थी और पर्यटक समेत अन्य लोगों को वापस नहीं ले आते हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मुख्यमंत्री आवास में मंत्रिमंडल की उपसमिति और पदाधिकारियों के साथ बैठक में बताया कि प्रवासी मजदूरों और विद्यार्थियों समेत अन्य लोगों को वापस लाने की अनुमति दिए जाने के 24 घंटे के अंदर इनकी वापसी का सिलसिला शुरु हो चुका है। जहां हैदराबाद से 12 सौ मजदूर लौट रहे हैं, वहीं झारखंड में फंसे पश्चिम बंगाल के मजदूरों को बस से वापस भेजा गया है औऱ वहां फंसे झारखंड के मजदूर इसी बस से वापस अपने घर आएंगे। उन्होंने बैठक में कोरोना संक्रमण को लेकर हो रहे बदलाव को लेकर बनाई जा रही कार्ययोजना की जानकारी देने के साथ मंत्रियों से सुझाव भी लिए, वहीं पदाधिकारियों से इससे निपटने की दिशा में किए जा रहे कार्यों की पूरी जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान के कोटा में झारखंड के लगभग 2883 विद्यार्थी अभी फंसे हुए हैं। इन विद्यार्थियों को वापस लाने के लिए दो विशेष ट्रेन की व्यवस्था की गई है। एक ट्रेन संभवतः शुक्रवार रात औऱ दूसरी शनिवार को रवाना होगी। वहीं अन्य राज्यों में फंसे विद्यार्थियों और भेल्लोर समेत दूसरे राज्यों के अस्पतालों में इलाज कराने गए झारखंड के मरीजों को लाने की दिशा में भी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। बहुत जल्द इन्हें भी वापस लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री को मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने बताया कि मजदूरों को चरणबद्ध तरीके से लाने के लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है। पहले चरण में बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िसा, छत्तीसगढ़ ओऱ मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों से मजदूरों को बस से वापस लाया जाएगा। यहां लगभग 34 हजार झारखंड के मजदूर फंसे हुए हैं। इनकी पूरी सूची तैयार कर ली गई है। इसके उपरांत दूर के राज्यों से प्रवासी मजदूरों को विशेष ट्रेन से लाने की प्रक्रिया शुरु होगी। इसके अलावा जहां कम संख्या में लोग फंसे हैं, उन्हें हवाई जहाज से लाने पर भी सरकार विचार कर रही है। मुख्य सचिव ने बताया कि अंतरराज्यीय और अंतर जिला आवागमन को लेकर भी संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश दे दिए गए हैं। इसके अंतर्गत जो लोग अपने वाहन से आना चाहेंगे, उन्हें संबंधित जिलों के उपायुक्त द्वारा पास निर्गत किया जाएगा। वहीं, राज्य के बाहर जो फंसे हैं, वे संबंधित जिले के उपायुक्त के पास के लिए आवेदन देंगे। अगर उन्हें किसी तरह की दिक्कतें आती हैं तो वे इसके लिए राज्य सरकार से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा राज्य के अंदर दूसरे जिलों में फंसे लोग वहां के उपायुक्त से पास लेकर वापस आ सकेंगे, लेकिन यह पास एक निश्चित समय अवधि के लिए ही निर्गत किया जाएगा। इसका उन्हें हर हाल में पालन करना होगा।
बैठक में बताया गया कि लौटने वाले प्रवासी मजदूरों और विद्यार्थियों के चिकित्सीय जांच, भोजन औऱ रहने की व्यवस्था की जा रही है। लौटने के बाद उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बाद उनके एक निश्चित किए गए जगह पर रहने की व्यवस्था की जाएगी। फिर, सभी का चिकित्सीय जांच कराया जाएगा। जो स्वस्थ पाए जाएंगे उन्हें घर भेजा जाएगा औऱ पूरी एहतियात बरतने का निर्देश दिया जाएगा, वहीं जिनमें थोड़ा सा भी संक्रमण का खतरा होगा, उसका कोविड अस्पताल अथवा उनके घर में ही क्वारेंटीन कर इलाज किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लाखों प्रवासी मजदूरों की वापसी के बाद चुनौतियां बढ़ेंगी। खासकर उनको रोजगार देना सबसे बड़ा चैलेंज होगा। इस वजह से अभी से ही इस दिशा में कार्ययोजना तैयार की जा रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए अलग-अलग वृहद कार्ययोजना बनाई जा रही है। राज्य के सभी उद्योग-धंधों का आकलन किया जा रहा है। इन उद्योग धंधों में लगभग 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार देना सुनिश्चित करने के लिए सरकार कदम उठाएगी। सरकार की कोशिश यही है कि राज्य की आंतरिक क्षमता का पूरा इस्तेमाल हो, ताकि ना सिर्फ यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि दूसरे प्रदेशों के लोग भी यहां रोजगार करने के लिए आ सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में मजदूरों के वापस लौटने पर उनके सामने रोजगार सबसे बड़ी समस्या होगी। ऐसे में इन मजदूरों को उनके घर पर ही रोजगार देने के लिए सरकार ने विस्तृत कार्ययोजना बनाई है। इसके तहत मनरेगा का बजट बढ़ाया जाएगा। इसमें नई योजनाओं को शामिल किया जाएगा और मनरेगा मजदूरी दर बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के अलावा दूसरे बीमारियों से ग्रसित मरीजों के इलाज को लेकर सरकार गंभीर है। इस सिलसिले में टेलीमेडिसीन की सुविधा शुरू की जा रही है और ई-संजीवनी की शुरूआत भी हो चुकी है। मरीज इसके माध्यम से स्वास्थ्य परामर्श विशेषज्ञ डॉक्टरों से ले सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि अभी भी ज्यादा निजी अस्पताल औऱ नर्सिंग होम बंद हैं। इस कारण दूसरे रोगों के मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा है। इस बाबत निजी अस्पताल के संचालकों को चेतावनी दी गई है कि वे अपने अस्पताल को खोलें, वरना उनका निबंधन रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने मुख्यमंत्री को बताया कि कोरोना संक्रमण को लेकर राज्य में 34 कंटेनमेंटे जोन चिन्हित किए गए हैं। इसके अलावा रांची अभी रेड जोन, 10 जिले ऑरेंज जोन और बाकी 13 जिले ग्रीन जोन में हैं। फिलहाल 800 से 900 सैंपलों के टेस्ट हर दिन किए जा रहे हैं। बैठक में मंत्री रामेश्वर उरांव, मंत्री चंपई सोरेन, मंत्री बन्ना गुप्ता और मंत्री सत्यानंद भोक्ता के अलावा मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नीतिन मदन कुलकर्णी और प्रधान सचिव अविनाश कुमार मौजूद थे।