रांची : सीपीआई ने आज एक दिवसीय सेमिनार कर मुख्यमंत्री से विस्थापन आयोग का गठन करने की मांग की. पत्रकारों से बातचीत करते हुए सीपीआई नेता भुनेश्वर मेहता ने बताया कि झारखंड में 50 लाख लोग विस्थापन का दंश झेल चुके हैं. साथ ही साथ इस्पात एनटीपीसी से एक करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं. एक जगह है लालगंज वहां तो आदिवासियों का अस्तित्व ही मिट गया है. वहां के आदिवासी कहां गए अभी तक किसी को पता नहीं.
विस्थापितों की दर्द को समझते हुए 2011 में भूमि अधिग्रहण बना लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया अगर या भूमि अधिग्रहण एक्ट लागू कर दिया जाए तो कहीं ना कहीं विस्थापित को राहत मिल सकती है. झारखंड के मुख्यमंत्री ने चुनाव से पहले घोषणा की थी कि सरकार बनने के बाद विस्थापन आयोग के गठन की जाएगी लेकिन अभी तक नहीं की गई है. यहां तक सीपीआई नेताओं ने सीएम से मिलकर इस बात को दोहराया और स्पेशल सत्र बुलाकर विस्थापित आयोग का गठन करने की भी मांग की. लेकिन झारखंड की सरकार इस पर गंभीर नहीं दिख रही है जिस कारण विस्थापितों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है और मात्र 10 ,12 हजार में कंपनी के द्वारा विस्थापितों से काम लिया जा रहा है, जिसमें बड़ी-बड़ी गाड़ियां हाईवा ट्रक को चलाया जा रहा है.
आगे उन्होंने कहा कि इनका दर्द अभी और बढ़ जाएगा जब 40 कोल आवंटन होगा, जिसमें झारखंड में 22 कोल आवंटन होना है. इस कारण सीपीआई ने 23 अक्टूबर को सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को बुलाकर एक सेमिनार आयोजित किया गया है. जिसमें रणनीति बनाई जाएगी कि सरकार पर दबाव बनाकर विस्थापन आयोग का गठन कर लिया जाए. सरकार अगर गंभीर नहीं होती है तो आंदोलन झारखंड के किसी भी इलाके से शुरुआत की जाएगी.
गौरी रानी की रिपोर्ट