द एचडी न्यूज डेस्क : कोरोना का कहर इंसानियत पर मौत बनकर टूट रहा है. दुनिया के बड़े-बड़े मुल्कों में हालात बेकाबू हो चुके हैं. ऐसे में खतरा जब विदेशों से चलकर बिहार के छोटे-छोटे कस्बों तक जा पहुंचा तब हालात से निपटना सबसे बड़ा चुनौती बनकर उभरा. कोरोना की महामारी को काबू करने के लिए केंद्र और राज्य की सरकार भरसक कोशिशें कर रही है. लेकिन खतरे को देखते हुए बीजेपी के राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने जो पहल की उसने न सिर्फ सरकार को राहत पहुंचाई बल्कि मानवता को जिंदा रखने में भी कारगर साबित हुआ.
दरअसल, कोरोना के इस जंग से सरकार अकेले लड़ने की कोशिशें कर रही थी. इसी दौरान रोहतास के रहने वाले बीजेपी के राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए ऐलान कर दिया कि जिंदगी और मौत के इस जंग में लोगों की जान बचाने के लिए वे अपना सर्वस्व न्योछावर कर देंगे. गोपाल नारायण सिंह ने कोरोना के संदिग्ध मरीजों के इलाज का बीड़ा उठाया और रोहतास के जमुहार स्थित बिहार के बड़े अस्पतालों में शुमार नारायण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल को कोरोना संदिग्धों के उपचार और देखभाल के लिए तैयार कर दिया.
नारायण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल बिहार में किसी पहचान का मोहताज नहीं है. कैमूर, रोहतास, अरवल और औरंगाबाद के लोगों के लिए यह अस्पताल पहले से ही संजीवनी के तौर पर काम करता रहा है. यही वजह है कि इन इलाकों के लोगों की उम्मीदें इस अस्पताल और इसके चैयनमेन गोपाल नारायण सिंह से काफी ज्यादा ही है. लोगों के इसी भरोसे को देखते हुए अस्पताल ने अपनी जिम्मेदारी संभाली और 400 बेड कोरोना संदिग्ध मरीजों के लिए तैयार कर दिया गया.
पिछले डेढ़ महीने में यहां हजारों संदिग्ध मरीजों का इलाज किया जा चुका है. अस्पताल के 10 वार्ड में 400 बेड के साथ कोरोना संदिग्धों की सेवा में तकरीबन 250 मेडिकल स्टाफ की टीम चौबीस घंटे लोगों की देखभाल कर रही है. यहां जांच के लिए आने वाले मरीजों को इलाज से लेकर खाने-पीने और रहने तक की मुफ्त व्यवस्था गोपाल नारायण सिंह की देखरेख में अस्पताल द्वारा की जा रही है. न तो किसी मरीज से पैसे लिए जा रहे हैं और न ही सरकार से किसी तरह की आर्थिक सहयोग मिल रहा है.
एक सांसद होने के नाते गोपाल नारायण सिंह पर दोहरी जिम्मेवारी भी है. एक तरफ जहां अस्पताल के जरिए वे संदिग्ध मरीजों की सेवा कर रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ इलाके के गरीब और लाचार लोगों की सभी जरुरतें भी पूरी करने में जुटे हैं. उनकी कोशिश है कि इलाके में कहीं कोई भूखा न रहे इसके लिए भी वे लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. फिलहाल नारायण अस्पताल कोरोना कहर के बीच जिस तरह काम कर रही है. उससे इलके की जनता और सरकार को यह भरोसा हो चला है कि इस महामारी के खिलाफ जंग में वे अकेले नहीं है.
संदीप कुमार सिंह की रिपोर्ट