पटना : जातीय जनगणना को लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है. इसी बीच बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव सीएम नीतीश कुमार से आज विधानसभा में मुलाकात की. तेजस्वी यादव के साथ तेजप्रताप यादव, कांग्रेस के नेता अजित शर्मा के अलावा कई लेफ्ट के विधायक भी साथ में थे. सीएम नीतीश के साथ सभी नेताओं का जातीय जनगणना को लेकर बातचीत हुई. पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने का नीतीश कुमार ने आश्वासन दिया. पीएम को पत्र लिखकर समय मांगा जाएगा. मीटिंग के बाद तेजस्वी यादव ने जानकारी दी.
मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के संबंध में तेजस्वी यादव ने गुरुवार को ही कहा था कि वो मुख्यमंत्री से मिलने का समय लेंगे और दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव जो बिहार के हित में है, उसे वो उनके सामने रखेंगे. उन्होंने कहा था कि अगर मुख्यमंत्री खुद जातीय जनगणना के पक्षधर हैं, तो जैसे कर्नाटक सरकार ने अपने खर्च पर गिनती कराई. वो भी ऐलान करें कि हम भी जातीय जनगणना अपने अपने खर्च पर करा रहे हैं.
जातीय जनगणना को केंद्र से नहीं मिल पा रही हरी झंडी
गौरतलब हो कि बिहार में लंबे समय से जातीय जनगणना कराने की मांग उठ रही है. इस बाबत बिहार विधानसभा से दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया जा चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इस बात के पक्ष में हैं. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना को हरी झंडी नहीं मिल पा रही है.
बीजेपी ने खेला दांव, कहा- ‘गरीबी गणना’ होनी चाहिए
वहीं, दूसरी ओर जातीय जनगणना के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब खुलकर सामने आ गई है. बीजेपी एमएलसी संजय पासवान ने जातीय जनगणना को लेकर नया दांव खेल दिया है. उन्होंने कहा कि देश में गरीबी गणना होनी चाहिए, ना की जातीय जनगणना.
शुक्रवार को रिक्शे पर सवार होकर गले में प्लेकार्ड लटकाकर बीजेपी एमएलसी संजय पासवान विधानसभा पहुंचे. उन्होंने अंदर जाने से पहले मीडिया के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि देश में अब तक कितने गरीब हैं, इसकी संख्या किसी को मालूम नहीं है. ऐसे में जो लोग जातीय जनगणना कराने के बाद समाज को बांटना चाहते हैं, उन्हें समझ लेना चाहिए कि देश में गरीबों की तादाद सबसे ज्यादा है. इसलिए गरीबों की गणना होनी चाहिए.
संजय कुमार मुनचुन की रिपोर्ट