पटना: देश की चर्चित रंगकर्मी उषा गांगुली के निधन से दुनिया के रंगकर्मियों को गहरा सदमा लगा है। वरिष्ठ रंग निर्देशक कुमार अनुपम ने उषा गांगुली को नारी विमर्श को वैश्विकता का आयाम देने वाली ऐसी निर्देशिका बतलाया जिसने विषय की स्थानीयता को बरकरार रखते हुए कथ्य को वैश्विकता प्रदान कर ऐसे बिम्बों का सृजन किया जो स्त्री संघर्ष को धारदार बनाते रहे। उषा गांगुली वास्तव में एक आन्दोलनकारी थीं, जिसने कोलकाता मे हिन्दी थिएटर को प्रभावकारी ढंग से स्थापित किया।
बताते चलें कि रंगकर्मी उषा गांगुली का गुरुवार सुबह 7.30 बजे कोलकाता में निधन हो गया। 75 वर्षीय उषा गांगुली का जन्म 1945 में उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था। उन्होंने कोलकाता स्थित श्री शिक्षायतन कॉलेज से स्नातक किया था। बाद में उन्होंने कोलकाता को अपना कार्यक्षेत्र बनाया था उषा गांगुली ने बहुत से नाटकों की प्रस्तुति दी जिनमें काशी का अस्सी, महाभोज, रुदाली, कोर्ट मार्शल और अंतरकथा महत्वपूर्ण हैं। काशीनाथ सिंह के उपन्यास पर आधारित उनका बहुचर्चित नाटक काशी का अस्सी बहुत चर्चित रहा, पूरे देश में इसका मंचन हुआ। अन्तरकथा उनका एकल नाटक था। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार-रंगमंच-निर्देशन से सम्मानित भी किया गया था।