कोरोना वायरस (कोविड-19) पर जारी शोध-अनुसंधान के बीच विज्ञानियों ने दो ऐसे उपकरण विकसित किए हैं, जिससे संक्रमण की गंभीरता का अनुमान लगाना आसान हो जाएगा। दावा है कि इनकी मदद से संक्रमण से मौत के खतरे का भी पता लगाया जा सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके बनाए ‘कैलकुलेटर’ यह भी बता सकते हैं कि कोरोना के किस मरीज को अस्पताल में वेंटीलेटर की जरूरत और किसे मौत के खतरा ज्यादा है। इन शोधकर्ताओं में एक भारतीय मूल के भी विज्ञानी हैं।
नए उपकरण से संक्रमण की गंभीरता का पता चलेगा
मैसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जिसके जरिए संक्रमण की गंभीरता के बारे में पहले से ज्यादा बेहतर और सटीक तरीके से जाना जा सकेगा। इसको बनाने वाली टीम में भारतीय भी शामिल हैं।
कोरोना वायरस (कोविड-19) पर जारी शोध-अनुसंधान के बीच विज्ञानियों ने दो ऐसे उपकरण विकसित किए हैं, जिससे संक्रमण की गंभीरता का अनुमान लगाना आसान हो जाएगा। दावा है कि इनकी मदद से संक्रमण से मौत के खतरे का भी पता लगाया जा सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके बनाए ‘कैलकुलेटर’ यह भी बता सकते हैं कि कोरोना के किस मरीज को अस्पताल में वेंटीलेटर की जरूरत और किसे मौत के खतरा ज्यादा है। इन शोधकर्ताओं में एक भारतीय मूल के भी विज्ञानी हैं।
ई-क्लीनिकल मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित एक आलेख के मुताबिक, नए उपकरणों के माध्यम से डॉक्टर कोरोना संक्रमित रोगियों के खतरे को बेहतर तरीके से जान पाएंगे और आइसीयू में उपलब्ध क्षमता और संसाधनों का उपयुक्त इस्तेमाल कर पाएंगे।
मैसाच्युसेट्स जनरल हॉस्पिटल (एमजीएच) के शोधकर्ता राजीव मल्होत्रा ने बताया कि रोगी की पूर्व मेडिकल हिस्ट्री, लक्षण और भर्ती होने के समय विभिन्न तरह के जांच परिणामों के आधार पर हमने ऐसे मॉडल (ऑनलाइन कैलकुलेटर) विकसित किए हैं, जिनसे हॉस्पिटल में यांत्रिक वेंटीलेशन की जरूरत और मौत के खतरे वाले रोगियों की पहचान कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि एक अन्य अध्ययन में हमने 30 दिन और उससे पहले से भर्ती रोगियों के निष्कर्ष पर फोकस किया।