रांची : झारखंड के रांची में कालखंड के प्रथम शिव शिष्य हरीन्द्रानंद द्वारा विरचित आध्यात्मिक पुस्तक ‘आओ, चलें शिव की ओर’ का विमोचन वसंत पंचमी के शुभ अवसर पर डीबडीह के ‘दी कार्निवाल हॉल’ रांची में किया गया. पुस्तक का विमोचन डीके सिन्हा, भूतपूर्व जस्टिस, झारखंड उच्च न्यायालय के द्वारा किया गया. लेखक हरीन्द्रानंद ने पुस्तक की आध्यत्मिक व्याख्या में कहा है कि बनो तो शिव, रहो तो शिव और जियो तो शिव.
उन्होंने कहा कि पुस्तक लिखना मेरे लिए असंभव-सा था क्योंकि विगत चार दशकों से अहर्निश मैंने शिव गुरु कार्य किया और सरकारी सेवा में भी रहा. कोरोना काल की आपदा को महादेव ने मेरे लिए अवसर में बदल दिया. पूरे देश दुनियां में हुए लॉकडाउन ने मुझे मनचाहा समय दे दिया. ‘आओ, चलें शिव की ओर’ पुस्तक निःसंदेह मेरे द्वारा लिखी नहीं गई है, बल्कि किसी ने मुझे कलम थमा दी और वह अविरल चल पड़ी. नतीजा आपके सामने है.
‘आओ, चलें शिव की ओर’ पुस्तक की प्रकाशक अनुनीता ने कहा कि सामान्यतः किताबें प्रकाशक और लेखक को समृद्व करती हैं पर ‘आओ, चलें शिव की ओर’ पुस्तक के लेखक हरीन्द्रानंद साहब ने अपनी पुस्तक के प्रकाशन का अधिकार देकर आखर पब्लिकेशन को प्रतिष्ठित किया है, समृद्ध किया है.
कार्यक्रम के आयोजक अर्चित आनंद ने कहा कि ‘आओ, चलें शिव की ओर’ पुस्तक नहीं एक ग्रंथ है जो मानवता को एक दिशा प्रदान करेगी. हमें शिव की ओर चलने को प्रेरित करेगी. शिव शिष्य हरीन्द्रानंद फाउंडेशन की अध्यक्ष बरखा सिन्हा ने हरीन्द्रानंद की पुस्तक के कुछ अंशों को उद्धृत करते हुए कहा कि इसमें जो डूबेगा वह डूबता ही जाएगा. जो भी पुस्तक को पढ़ना आरंभ करेगा वह इसे अंतिम पेज तक पढ़कर ही छोड़ेगा. भगवान शिव के गुरु स्वरूप की व्याप्ति और प्रसार, साहब की आपबीती सभी पाठक के मन को झकझोरेगी.
पटना से आए डॉ. अमित कुमार ने ‘आओ, चलें शिव की ओर’ अध्याय की अंतिम पंक्तियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहब की ये पंक्तियां न जयघोष है, न उद्घोष है अपितु मानव मन पर प्रहार करती है. साहब के बताए शिव के राजमार्ग पर चलने की विधा है, उसका क्रम है उसकी गति है. शिव शिष्य परिवार के सचिव अभिनव आनंद ने कहा कि साहब के शुभ से ही हमारा शुभ है, ‘आओ, चलें शिव की ओर’ किताब हमारा-आपका मार्गदर्शन करेगी. इसे पढ़ें, समझें, आत्मसात करें. पुस्तक विमोचन कार्यक्रम कोविड-19 प्रोटोकॉल के दिशा निर्देशानुसार था. लगभग डेढ़ सौ लोगों की ही उपस्थिति थी जिसमें सामाजिक दूरी का पालन करते हुए सभी लोग दिखे. सभी मास्क लगाए हुए थे.
गौरी रानी की रिपोर्ट