रांची : राज्य के किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य से काम कर रहा हूं. किसान का बेटा हूं इसलिए इनका दर्द जनता हूं. राज्य में जैविक आधारित खेती के लिए एक पॉलिसी बनाया जाएगा. रीजेनरेटिव फार्मिंग (जैविक खेती) न सिर्फ आज की जरूरत है, बल्कि यह भारतीय पारंपरिक खेती को सहेजना का जरिया भी है. यह बात ने गुरुवार को कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने रांची के सप्तऋषि सेवा भवन में राज्य स्तरीय कार्यशाला में कही. ‘झारखंड के संपोषित कृषि, खेती की संभावनाएं एवं महत्व’ विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे.
बादल ने कहा कि तीन दिवसीय कार्यशाला में प्रशिक्षण लेने वाले किसानों को विभाग की और से पुरस्कृत किया जाएगा. झारखंड सीएसओ फोरम एवं स्वयंसेवी संस्था प्रदान के तत्वावधान में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रामकृष्ण मिशन और विवेकानंद विवि के वैज्ञानिक ने खेती की संभावनाओं पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में झारखंड के पांचों प्रमंडल के प्रखंडों से चिह्नित किसान शामिल हुए. रसायन-युक्त कीटनाशक के द्वारा की जा रही खेती से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों ने अपने अनुभव साझा किए.
इस मौके पर स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी के डॉ. सुदर्शन विश्वास, रामकृष्ण मिशन के डॉ. विशाल धोटे, माधव, नित्यानंद दहल, बिंजु अब्राहम, लुरुसिंह सुतार, प्रेमशंकर और विवेक समेत कई संस्थाओं के प्रतिनिधि और सीएसओ मौजूद थे.
गौरी रानी की रिपोर्ट