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मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी, याचिका खारिज

Bj Bikash
Last updated: 5th January 2021 11:25 am
By Bj Bikash
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5 Min Read
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 2:1 की बहुमत से ये फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ज़मीन का डीडीए की तरफ से लैंड यूज़ बदलना सही है. साथ ही पर्यावरण क्लियरेंस मिलने की प्रक्रिया भी सही है. हालांकि कोर्ट ने कहा कि इसके निर्माण के दौरान प्रदूषण रोकने के लिए स्मॉग टावर लगाए जाएं. इतना ही नहीं निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की भी मंजूरी ली जाए.

संजीव खन्ना ने लैंड यूज़ बदलने की प्रक्रिया को कानूनन गलत बताया

जस्टिस खानविलकर और माहेश्वरी ने बहुमत में फैसला सुनाया है. वहीं, अल्पमत के फैसले में जस्टिस संजीव खन्ना ने लैंड यूज़ बदलने की प्रक्रिया को कानूनन गलत बताया है. पर्यावरण मंजूरी को भी अस्पष्ट बताया है. लेकिन 2:1 के बहुमत से आया प्रोजेक्ट को मंजूरी देने वाला फैसला ही मान्य होगा. यानी नई संसद और सरकारी इमारतों का निर्माण हेरिटेज कमिटी की मंजूरी लेने के बाद हो सकेगा.

केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को कई याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी. इन याचिकाओं में कहा गया था कि बिना उचित कानून पारित किए इस परियोजना को शुरू किया गया. इसके लिए पर्यावरण मंजूरी लेने की प्रक्रिया में भी कमियां हैं. हजारों करोड़ रुपये की यह योजना सिर्फ सरकारी धन की बर्बादी है. संसद और उसके आसपास की ऐतिहासिक इमारतों को इस परियोजना से नुकसान पहुंचने की आशंका है. सेंट्रल विस्टा परियोजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पांच नवंबर को फैसला सुरक्षित रखा था. तब कोर्ट ने कहा था कि हम इस दलील को खारिज करते हैं कि सेंट्रल विस्टा में कोई नया निर्माण नहीं हो सकता. विचार इस पहलू पर किया जाएगा कि क्या प्रोजेक्ट के लिए सभी कानूनी ज़रूरतों का पालन किया गया.

Supreme Court gives a go-ahead to the redevelopment plan of the Central Vista project https://t.co/8xRfwkqppN pic.twitter.com/SFmgAatQpi

— ANI (@ANI) January 5, 2021

सात दिसंबर को कोर्ट ने इस बात पर संज्ञान लिया कि उसका फैसला लंबित होने के बावजूद सरकार परियोजना का काम बढ़ा रही है. तब कोर्ट की नाराजगी के बाद केंद्र ने आश्वस्त किया कि फैसला आने से पहले न तो सेंट्रल विस्टा में कोई निर्माण होगा, न ही किसी पुरानी इमारत को गिराया जाएगा. इसके बाद कोर्ट ने 10 दिसंबर को होने वाले नए संसद भवन के शिलान्यास कार्यक्रम को मंजूरी दे दी थी. शिलान्यास के बाद से नए भवन का निर्माण रुका हुआ है.

सरकार का जवाब

याचिकाओं के जवाब में सरकार ने कहा कि मौजूदा संसद भवन और मंत्रालय बदलती जरूरतों के हिसाब से अपर्याप्त साबित हो रहे हैं. नए सेंट्रल विस्टा का निर्माण करते हुए न सिर्फ पर्यावरण का ध्यान रखा जाएगा, बल्कि हेरिटेज इमारतों को नुकसान भी नहीं पहुंचाया जाएगा. जिरह के दौरान केंद्र सरकार के वकील ने यह भी कहा था कि इस समय सभी मंत्रालय कई इमारतों में बिखरे हुए हैं. एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय जाने के लिए अधिकारियों को वाहन का इस्तेमाल करना पड़ता है. कुछ मंत्रालयों का किराया देने में हर साल सरकार के करोड़ों रुपये खर्च होते हैं. यह कहना गलत है कि सेंट्रल विस्टा के निर्माण में सरकारी धन की बर्बादी हो रही है. बल्कि अब तक होती आ रही धन की बर्बादी को रोकने के लिए यह परियोजना बहुत जरूरी है.

क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए संसद परिसर का निर्माण किया जाना है. इसमें 876 सीट वाली लोकसभा, 400 सीट वाली राज्यसभा और 1224 सीट वाला सेंट्रल हॉल बनाया जाएगा. इससे संसद की संयुक्त बैठक के दौरान सदस्यों को अलग से कुर्सी लगा कर बैठाने की ज़रूरत खत्म हो जाएगी. सेंट्रल विस्टा में एक दूसरे से जुड़ी 10 इमारतों में 51 मंत्रालय बनाए जाएंगे. अभी यह मंत्रालय एक-दूसरे से दूर 47 इमारतों से चल रहे हैं. मंत्रालयों को नजदीकी मेट्रो स्टेशन से जोड़ने के लिए भूमिगत मार्ग भी बनाया जाएगा. राष्ट्रपति भवन के नज़दीक प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के लिए नया निवास भी बनाया जाएगा. अभी दोनों के निवास स्थान राष्ट्रपति भवन से दूर हैं.

TAGGED: #Central Vista Area, #Centre Plan, #Challenging Validity, #Delhi, #India, #Modi Government, #Redevelopment, #Supreme Court, #Verdict on Petitions
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