पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद अब एनडीए सरकार के गठन को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है. बीजेपी एनडीए गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी देने के स्टैंड पर पूरी तरह से कायम है. लेकिन बिहार में जिस तरह का जनादेश इस बार आया है, ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होने वाली है. यही वजह है कि बीजेपी और जदयू दोनों की ही नजर स्पीकर की कुर्सी पर होगी.
बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी जदयू के टिकट पर एक बार फिर सरायरंजन सीट से जीतकर विधायक बने हैं. विजय चौधरी जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के काफी करीबी और भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते हैं. 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार ने महागठबंधन में आरजेडी से 10 सीटें कम जीतने के बाद भी स्पीकर का पद नहीं छोड़ा था जबकि लालू यादव आरजेडी के किसी नेताओं को इस कुर्सी पर बैठाना चाहते थे.
हालांकि, नीतीश का अपना स्पीकर बनाने का दांव उस वक्त काम आया था जब 2017 में जदयू ने आरजेडी का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था. आरजेडी को उस वक्त स्पीकर की कुर्सी छोड़ने का काफी मलाल हुआ था, क्योंकि तेजस्वी यादव आरजेडी के पास बहुमत होने का दावा करते रहे पर उसका कोई असर नहीं हुआ.
बिहार में इस बार भी चुनावी नतीजे ऐसे आए हैं कि किसी भी एक पार्टी के पास बहुमत का आंकड़ा नहीं है. एनडीए 125 और महागठबंधन 110 सीटें मिली है जबकि अन्य आठ सीटें मिली हैं. बिहार में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है जबकि दूसरे नंबर बीजेपी है. एनडीए बहुमत के जादुई आंकड़े के पास तब पहुंच रहा है जब जीतनराम मांझी की हम (4) और वीआईपी के चार विधायक जुड़ते हैं.
नीतीश कुमार सत्ता के सिंहासन पर भले ही काबिज हो रहे हों, लेकिन उनके लिए सबकुछ पहले जैसा आसान नहीं होगा. नीतीश अब तक अपने एक मात्र सहयोगी बीजेपी के साथ सरकार चलाते रहे हैं, लेकिन इस बार चार सहयोगी हैं. इसके अलावा बीजेपी इस बार जदयू से ज्यादा सीटें जीतकर आई है. ऐसे में नीतीश कुमार की सरकार पर सहयोगी दलों का दबाव भी रहेगा.
बिहार में अगर एनडीए और महागठबंधन में शामिल छोटे दल अगर इधर से उधर होते हैं तो सत्ता की सियासी तस्वीर ही बदल जाएगी. ऐसे स्थिति में विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है. ऐसे में जिस भी पार्टी का स्पीकर होगा, सियासी रूप से उसका पलड़ा भारी रहेगा. कर्नाटक और मध्य प्रदेश में ऑपरेशन लोटस के दौरान स्पीकर के संवैधानिक ताकत का एहसास पूरा देश देख चुका है. बिहार में नई सरकार के गठन के लिए नीतीश कुमार के साथ-साथ सहयोगी भी सक्रिय हैं. बिहार में बीजेपी बार-बार ये बात दोहरा रही है कि नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे. ऐसे में विधानसभा का अध्यक्ष पद बीजेपी-जदयू-हम-वीआईपी में से किस पार्टी का होगा.