राजमोहन सिंह
बिहार की सियासत में मंगलवार का दिन सरगर्मी भरा रहा. विधानसभा में नो एनआरसी प्रस्ताव पारित होने के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अक्लियतों के फिक्रमंद होने का मैसेज देते हुए मास्टर स्ट्रोक चल दिया है. इसके साथ ही सहयोगी बीजेपी को भी निरुत्तर करते हुए सीएम नीतीश ने एक तीर से दो शिकार किए हैं. मंगलवार को बिहार विधानसभा से सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव केंद्र सरकर को भेजा गया कि राज्य में NPR 2010 के प्रश्नावली पर ही करवाई जाए. नए प्रावधान के अनुसार केवल ट्रांसजेंडर की सूचना समावेश करने का जो प्रावधान नए मसौदे में शामिल किया गया है, उसे ही शामिल किया जाए. साथ ही राज्य विधानसभा की तरफ से यह भी कहा गया कि बिहार में NRC नहीं लाया जाएगा.

बिहार विधानसभा की तरफ से प्रस्ताव भेजे जाने के साथ ही बिहार पहला ऐसा राज्य बन गया जहां बीजेपी के सत्ता में हिस्सेदार होने के बाद भी NRC और NPR का विरोध किया गया है. लेकिन इससे पहले बिहार विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार के कमरे में विपक्षी नेताओं की 20 मिनट की मुलाकात ने बिहार के राजनीतिक हलकों में तूफान मचा दिया क्योंकि इसी 20 मिनट की मुलाकात के बाद बिहार में नो एनआरसी और 2010 के मॉडल पर एनपीआर का प्रस्ताव पास करा लिया गया और सहयोगी बीजेपी को संदेश देने की कोशिश भी की गई.
वो 20 मिनट की मुलाकात
20 मिनट की एक ऐसी मुलाकात जिसने बिहार की सियासत में तूफान मचा दिया. बिहार की पॉलिटिक्स की दो धुरी जब मंगलवार को एक साथ बैठे तो एक इतिहास बन गया. अरसे बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच बंद कमरे में करीब 20 मिनट तक बातचीत हुई. बैठक में तेजस्वी के अलावा आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी और कांग्रेस नेता अवधेश नारायण सिंह भी मौजूद थे. सूत्रों के मुताबिक जिस NPR और NRC के मसौदे पर सदन में प्रस्ताव पास कराया गया उसकी पृष्ठभूमि इसी बैठक में तैयार हो गई थी. दरअसल, सदन शुरू होते ही विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने NPR के मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने का अनुरोध किया. जिसे विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने मंज़ूर कर लिया. साथ ही दो घंटे की बहस करवाने की घोषणा कर दी. तेजस्वी ने जोरदार भाषण दिया और सीएम नीतीश की मंशा पर सवाल खड़े किए.

पूरे मामले पर जब जवाब देने की बारी जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आयी तो उन्होंने साफ़ किया कि फ़िलहाल नया नागरिकता क़ानून सही है या ग़लत ये मामला सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये भी साफ किया कि नए NPR के प्रावधानों से परेशानी खड़ी हो सकती है लिहाजा उन्होंने पहले ही केंद्र सरकार से 2010 के प्रावधानों के आधार पर ही NPR करवाने की बात कही. नीतीश कुमार ने साथ ही कहा कि एनआरसी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में हम मिलकर चलेंगे और हम समाज के किसी तबके की उपेक्षा नहीं होने देंगे.
मुख्यमंत्री के बयान के बाद सदन की कार्यवाही भोजन अवकाश के लिए स्थगीत कर दी गयी. इस दरम्यान ही नीतीश कुमार के चैम्बर में तेजस्वी यादव अपने पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ गए और प्रस्ताव लंच के बाद के सत्र में पारित कराने का आग्रह किया. जिसके बाद जैसे ही दोपहर बाद वित्त मंत्री सुशील मोदी ने अपना बजट पेश किया उसके बाद अध्यक्ष विजय चौधरी ने प्रस्ताव पारित होने की घोषणा कर दी जिससे भाजपा के विधायकों में नाराजगी देखने को मिली.