पटना: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को स्थगित करने का सुझाव दे दिया है. उनका मानना है कि डाक मतदान बढ़ने से धोखाधड़ी और गलत परिणाम सामने आ सकते हैं. उन्होंने चुनाव देरी से कराने का सुझाव देते हुए कहा, जब तक लोग ठीक से और सुरक्षित रूप से वोट नहीं दे सकते, तब तक इसे टाल देना चाहिए.
कोरोना का खौफ इस कदर छाया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान पर भी पड़ रहा है। दुनिया की सबसे ताकवर शख्सियत ने भी अपनी चुनावी रैलियां फिलहाल के लिए रद्द कर दी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गुरुवार को फैसला किया कि वो अभी कोई रैली नहीं करेंगे। रैलियां लंबे समय से ट्रंप का ताकतवर राजनीतिक हथियार रही हैं। अब जब राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं तो ये उम्मीदवार का उत्साह बढ़ाने के साथ ही उसे अपने विरोधियों पर हमला करने के लिए एक मजबूत मंच भी प्रदान करती हैं। साथ ही उनकी टीम को मतदाताओं की जानकारियां जुटाने में भी सहायक साबित होती हैं। लेकिन ट्रम्प ने रैली स्थगित कर दिया है।
जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को टालने की तैयारी तेज हो गई है तो अब सवाल उठता है कि क्या बिहार में भी विधानसभा का चुनाव टाल दिया जाएगा। अब आप सोच रहे होंगे कि अमेरिका से बिहार का क्या रिश्ता। तो आपके बतादें कि जिस तरह अमेरिका में कोरोना बेकाबू हो चुका है ठीक वैसे ही हालात बिहार में भी है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद बिहार में विधानसभा चुनाव नवंबर में कराने की तैयारी जोरों से चल रही है।
कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए विपक्ष लगातार बिहार विधानसभा चुनाव को स्थगित करने की मांग कर रहा है। वावजूद इसके जदयू और भाजपा चुनाव की तैयारी में पूरी शिद्दत से जुटी है। जदयू और भाजपा के नेताओं ने हाल के दिनों में दलील देते हुए कहा था कि जब कोरोना से तबाही के बीच अमेरिका में चुनाव हो सकता है तो फिर बिहार में क्यों नहीं कराया जा सकता।
बिहार में एक तरफ बाढ़ तो दूसरी तरफ कोरोना जिंदगी को मौत के मुंह में धकेल रही है। कोरोना से हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि सूबे की नीतीश सरकार ने अघोषित तौर पर महामारी के आगे सरेंडर कर दिया है। अब कोरोना पर काबू न तो प्रशासन के हाथ दिख रहा है और न ही सरकार में वह इच्छा शक्ति दिख रही है।
कोरोना की वजह से जब अमेरिका में चुनाव को टालने की बात डोनाल्ड ट्रम्प ने कर दी है तो ऐसे में अब बिहार में चुनाव टालने के लिए भी नये सिरे से विपक्ष दबाव बनाएगा। ऐसे में जाहिर है नीतीश और मोदी के कुनबे के साथ साथ चुनाव आयोग को भी सवालों का सामना करना पड़ेगा।
संदीप सिंह की रिपोर्ट