सारण जिले में आई बाढ़से हर कोई परेशान है। वहीं जिले के छपरा में बाढ़ से परेशान पानापुर प्रखंड के लोगों को अब बारिश ने भी परेशान कर दिया है। कई सड़कों और नहर के बांध पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित तेज बारिश से बेहाल हैं। प्रशासन ने पीड़ितों की मदद के लिए जो आश्रय केंद्र बनाए हैं वो आश्रय केंद्र काफी दूर हैं। लिहाजा कई बाढ़ पीड़ितों ने पेड़ पर अपना आशियाना बना लिया है।
पानापुर से ऐसे ही तस्वीर सामने आई है, जहां पानी से घिरे बाढ़ पीड़ितों ने एक पेड़ के ऊपर खटिया डालकर अपना आशियाना बना लिया है। परिवार अब इसी पर अपनी जिंदगी बसर कर रहा है। हालांकि ऐसे बाढ़ पीड़ितों को उन्हें खुद के साथ साथ मवेशियों के भोजन की चिंता सता रही है। भूख से बेहाल प्लास्टिक के बनाए आशियाने में वे तो किसी तरह अपने परिजनों को छुपाए बैठे हैं लेकिन मवेशी खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं। बारिश और बाढ़ की वजह से मवेशियों के लिए चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है।
नेपाल के बाल्मीकी बराज से पानी छोड़े जाने के बाद जिला के पांच प्रखंड पानापुर ,तरैया ,मशरख, मकेर, अमनौर के कुल 36 पंचायत बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। इनमें 15 पंचायत पूर्ण रूप से तथा 21 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित है।
36 पंचायतों के 159 गांव प्रभावित हुए हैं। पानापुर के 10 पंचायत के 41 गांव, तरैया के 13 पंचायत के 71 गांव, मशरख के 8 पंचायत के 27 गांव ,अमनौर के 3 पंचायत के 12 गांव तथा मकेर के 2 पंचायत के 8 गांव प्रभावित हुए हैं। इन पांचों प्रखंडों के 169600 की आबादी तथा 6000 पशु बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन के निर्देश पर अभी तक 6800 पॉलीथिन शीट का वितरण कराया गया है। कुल 33 स्थाई चापाकल तथा 52 शौचालयों का निर्माण कराया गया है। 101 नाव एवं 13 मोटर बोट का निरंतर परिचालन किया जा रहा है। समुदाय किचन में 41560 लोगों को भोजन कराया जा रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 16 स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं। जहां अभी तक 419 लोगों का इलाज किया गया है। कुल 13000 हैलोजन की टेबलेट का वितरण कराया गया है। कुल 5 पशु कैंप खोले गए हैं जहां अभी तक 87 पशुओं का इलाज किया गया है। वही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में NDRF टीम के मदद से युवराज सुधीर सिह ने पानापुर के दर्जनों गाँवो में बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री, तिरपाल ,नगद आदि देकर उन्हें तत्काल सहायता मुहैया करा रहे है।