लॉकडाउन के दौरान झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र भारी संख्या में प्रवासी और अप्रवासी मजदूर बेरोजगार हुए। यहां तक कि 42 फीसदी वेतनभोगी कामगारों को लॉकडाउन के दौरान वेतन नहीं मिला। यह खुलासा ग्रामीण आजीविका पर बेंगलुरू के अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा कई संस्थानों के सहयोग से किए गए सर्वे में हुआ है।
अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय ने नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च, कोलकाता के पश्चिम बंगाल खेत मजदूर समिति, अहमदाबाद के इंपलाय वुमेंस एसोसिएशन व आगा खां रूरल सपोर्ट प्रोग्राम, नई दिल्ली के सृजन व प्रदान और आंध्र प्रदेश के समालोचन संस्थान के सहयोग से यह सर्वे किया है। अहमदाबाद, बंगलुरू, दिल्ली, जयपुर आदि बड़े शहरों के अलावा आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, झारखंड, कनार्टक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगना आदि बारह राज्यों में सर्वे किया गया।
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान देश में 81 फीसदी प्रवासी मजदूर और 64 फीसदी अप्रवासी मजदूरों का रोजगार छूटा। देश के 74 फीसदी मजदूरों को राशन मिल पाया। झारखंड की बात की जाए तो राज्य में लॉकडाउन के दौरान 76 फीसदी मजदूर कामविहीन रहे। राज्य के 89 फीसदी किसान अपना उत्पाद उचित मूल्य पर नहीं बेच सके।