द एचडी न्यूज डेस्क : बिहार की सियासत में इनदिनों गजब का खेल चल रहा है. पलभर में अपने पराए तो पराए अपने हो जा रहे है. सियासत की हालत ऐसी हो गयी है कि कल क्या होगा यह कोई दावे का साथ नहीं कह सकता है.
एनडीए से नाता तोड़ महागठबंधन के साथी बने मांझी का अब मन डोलने लगा है. महाठबंधन में को-ऑर्डिनेशन कमिटी बनाने का मांग की मियाद पूरी होते ही मांझी ने आंखे तरेरनी शुरू कर दी है. हम पार्टी की माने तो सीटों पर तालमेल बैठाने के लिए कमिटी बनाने की मांग की गई थी. इसके लिए 25 जून तक अल्टीमेटम तारीख भी तय किया गया था. लेकिन आरजेडी की ओर से किसी प्रकार का तवज्जो नही दिया गया. इस लिए पार्टी अब फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है. मांझी के इस रूख से बिहार के राजनीतिक गलियारे में कयासों का बाजार गर्म हो गया है.
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने साफ कर दिया है कि जीतनराम मांझी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है और बहुत जल्द ही बड़ा फैसला लेंगे. दानिश ने इशारों ही इशारों में आरजेडी नेता तेजस्वी पर हमला बोलते हुए कहा कि हम के फैसले से बिहार के सीएम बनने का सपना रखने वालों की सपना चूर हो जाएगा.
हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता के इस बयान पर पलटवार करते हुए राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि आरजेडी ने हम को बहुत इज्जत देने का काम किया. उनके बेटे को सदन तक पहुंचाने का काम किया लेकिन अब मांझी जी का मन डोल गया है. उनका कनेक्शन किसी और के साथ जुड़ गया है.