देश में कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए संपूर्ण भारतवर्ष लॉक डाउन है एक ओर किसान अपने अनाजों को लेकर अपने घर में बैठे हैं और यह सोचने में लगे हैं कि कब बाजार खुले और उनके अनाज रुपए में तब्दील हो सके, वहीं दूसरी ओर भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ई नाम पोर्टल आज अपना जलवा बिखेरने में लगा हुआ है l हजारीबाग में किसान ईनाम के माध्यम से अपना उपाय बेच रहे हैं और ज्यादा मुनाफा भी कमा रहे हैं , वह भी सोशल डिस्टेंसइंग मेंटेन करते हुए । शुरुआती दौर में तो किसानों को यह समझ ही नहीं आया कि आखिर यह ई नाम है क्या लेकिन आज बंदी के समय ई नाम पोर्टल से बड़ा दोस्त किसानों के लिए कोई दूसरा नहीं हो सकता यह आज साबित हुआ है। हजारीबाग में ई नाम के माध्यम से 25 मेट्रिक टन गेहूं और 100 मेट्रिक टन सरसों की ऑनलाइन बिक्री हुई है सबसे गौर करने वाली बात यह है कि सरकार द्वारा मिनिमम सपोर्ट प्राइस गेहूं का ₹1925 प्रति क्विन्टल रखा गया है जिसे पार करते हुए ई नाम पोर्टल के माध्यम से हजारीबाग में ₹2150 किसानों को मिला है ऐसे में किसान अपने घर बैठे अपने खेत से सब्जियां , अनाज अपने मोबाइल के माध्यम से किसी भी शहर के व्यवसाई को सीधे बैठ सकते हैं

झारखंड में ई नाम के नोडल ऑफिसर राकेश कुमार ने बताया है कि आज ई नाम सबसे कारगर साबित हो रहा है । फॉर्म गेट मॉडल के माध्यम से किसानों को अपनी उपज बेचने है और यह सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करने का सबसे कारगर उपाय है ।

सबसे बड़ी बात यह है कि संपूर्ण भारतवर्ष में यह ई नाम पोर्टल केवल हजारीबाग में बेहतरीन कार्य कर रही है जिसमें अब तक हजारीबाग के 26000 किसान रजिस्टर्ड है। साथ ही जिन किसानों को और रजिस्टर्ड होना है उनके लिए भी मोबाइल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन का कार्य जारी है और इसी के माध्यम से हजारीबाग जिला प्रशासन ने किसानों और व्यवसायियों के बीच बड़ी खरीद-फरोख्त करवाई है जिससे बंदी के इस समय आटा ,तेल ,सत्तू ,बेसन आदि की कोई कमी लोगों को ना हो और लोग आराम से घर में रहकर कोरोना के इस लड़ाई में देश का साथ दें.

हजारीबाग से संघप्रिया वशिष्ट की रिपोर्ट